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पंचगव्य व गुप्त संस्कृत भागवत से पूर्वज होते हैं अतिप्रसन्न, पितृ मोक्ष अमावस्या पर करें ये उपाय

locationदमोहPublished: Sep 18, 2017 01:03:45 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

आश्विन माह में पितृ दोष, विघ्न बाधाएं व प्रेत बाधाओं के साथ आर्थिक बाधाओं से भी मिल सकती है मुक्ति

Fathers salvation is on the new moon

Fathers salvation is on the new moon

राजेश कुमार पांडेय @ दमोह. आश्विन माह के 15 दिन हिंदू धर्म के मुताबिक एक अलग भक्ति और सात पीढिय़ों को तारने की शक्ति प्रदान करने वाला माह माना जाता है। इस माह में जो परिजन बिछुड़ गए हैं और उनकी आत्मशांति नहीं हो रही है, उन्हें विभिन्न माध्यमों से संतुष्ट कर देवलोक गमन कराने का विधान है।
आश्विन माह की पूर्णिमा से शुरू होकर पितृ मोक्ष अमावस्या तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का दान करने से बड़ी से बड़ी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। शास्त्रों के मुताबिक अपने पूर्वजों को तारने के लिए भागीरथजी को विशेष आराधना करनी पड़ी थी जिसके कारण गंगाजी को हिमालय से प्रकट होना पड़ा। बुंदेलखंड में पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध का विधि विधान जरा हटके है। इस क्षेत्र के नदी, तालाबों में सुबह से कुशा के माध्यम से देवताओं, ऋषियों व पितरों का जल तर्पण किया जाता है। कुछ जगह बहते हुए जल स्रोत में बैठकर पितृ स्त्रोत का पाठ करते हुए जल तर्पण किया जाता है। पं. राहुल पाठक के अनुसार पितृ हमसे खुश हैं या नाखुश इसका पता 15 दिनों में चल जाता है। जिस कुशा से तर्पण किया जाता है यदि वह कुशा हरी-भरी है या उसका आकार बढ़ रहा है तो मानना चाहिए कि हमारे पूर्वजों का हमें आशीर्वाद मिल रहा है, यदि कुशा छोटी हो रही है या उसका उपरी सिरा गिर रहा है सिर्फ डंडिया बच रही हैं तो यह पूर्वजों की नाराजगी के संकेत होते हैं। इसके अलावा जो पंचगव्य देवता, गाय, कौआ, चीटी व श्वान के लिए भोजन रखा जाता है, यदि इन चारों के द्वारा भोजन कर लिया जाता है तो हमें यह संकेत मिलता है कि पूर्वजों ने हमारा आतिथ्य स्वीकार कर लिया है। पौराणिक गाथाओं व शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि आश्विन माह के 15 दिन के लिए हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आकर यह देखते हैं कि उनके वशंज उनके प्रति कितनी श्रद्धा रख रहे हैं, श्राद्ध ऐश्वर्य व वैभव के अनुसार नहीं बल्कि मन में सच्ची श्रद्धा और दो फूल अर्पित कर सच्चे मन से किया जाए तो भी उतना प्रतिफल मिलता है। इसके अलावा यदि आपके पास धन नहीं है तो केवल गाय को हरा चारा खिला दिया जाए इससे श्राद्धकर्म पूरा माना जाता है।
पं. नर्मदा प्रसाद गर्ग बताते हैं कि आश्विन माह में गुप्त भागवत संस्कृत में कराने से पितरों को शांति मिलती है। इस समय कई लोग अपने घरों में गुप्त भागवत करा रहे हैं, संस्कृत में चलने वाली भागवत पूर्वजों के लिए समर्पित होती है, यजमान के अलावा यह माना जाता है कि उस परिवार के पूर्वज भी संस्कृत में भागवत पुराण को सुन रहे हैं। इसके अलावा जिन्हें अपने पूर्वजों के बिछुडऩे की तिथि याद नहीं है, वे पितृमोक्ष अमावस्या पर विधिविधान से पूजन पाठ कराकर अपने बिछड़े परिजनों को भी पितरों में मिला सकते हैं।
पं. नर्मदा प्रसाद गर्ग, पं. राहुल पाठक, पं. अखिलेश पाठक ने बताया कि पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितृ स्त्रोत का पाठ व पितृों की महाआरती के माध्यम से भी उन्हें प्रसन्न किया जाता है। जो 15 दिन तक पानी देते हैं, वे इस दिन विशेष पूजन कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर हर समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
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