शाला प्रबंधन का कहना है कि बच्चों को 4 पेपर दिलवाने के बाद 5 वें पेपर में फीस जमा न करने के कारण परीक्षा से रोका गया है, साथ ही किसी प्रकार से बच्चो को कमरे में बंद नही रखा गया है। शासन द्वारा उन्हें किसी प्रकार से कोई सुविधा तो नहीं दी जाती है, बिल्डिंग किराया, शिक्षकों का वेतन, बिजली बिल सहित अन्य कार्यों के लिए प्रतिमाह भुगतान करना पड़ता है। इन्हीं कारणों से फीस न भरने वाले बच्चों को परीक्षा से वंचित किया गया है।
अभिभावक शोभा सोनी, रजनी केवट, सविता केवट, कृष्णा बाई ने बताया कि ज्ञानदीप विद्याविहार में उनके बच्चे पढ़ते हैं, साल भर की फीस देने के बाद मात्र 500 रुपए बचे थे, फीस जमा न करने के कारण हमारे बच्चो को परीक्षा देने से रोका गया, इतना ही नहीं शाला प्रबंधन ने बच्चो को एक कमरे में बंद करके 3 घंटे तक रखा गया है।
निजी स्कूल प्रबंधन अपनी हठधर्मिता के चलते शासन के उस नियम की अवहेलना की है, जिसमें यह उल्लेख है कि यदि बच्चों के अभिभावक फीस नहीं भर पाते हैं तो उन्हें नोटिस देना चाहिए, न कि बच्चों को परीक्षा से वंचित किया जाना चाहिए।
यह जानकारी एसडीएम बृजेन्द्र रावत को लगने पर इस मसले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग के बीआरसी एनएस राजपूत को 24 घंटे के अंदर उक्त स्कूल में पहुंचकर अपनी जांच रिर्पोट प्रस्तुत करने लिए निर्देशित किया गया। जिसपर बीआरसी एनएस राजपूत, बीएसी स्वदेश नेमा, जनशिक्षक मस्तराम प्रभाकर, राजेश नामदेव ने जाकर प्रबंधन व अभिभावकों से बातचीत की। साथ ही समिति से बात कर प्राचार्य मोहित जैन को शाला प्रबंधन से हटवाते हुए जितेन्द्र कुमार बिल्थरे को नया प्राचार्य नियुक्त करा दिया गया है ।
वर्जन
मामला गंभीर था, शाला प्रबंधन व अभिभावकों से चर्चा की गई है। इसमें बच्चों का दोष नहीं है, यह मामला अभिभावक व प्रबंधन के बीच का है। वंचित छात्रों की पुन: परीक्षा कराई जाएगी।
एनएस राजपूत, बीआरसी, तेंदूखेड़ा