दमोह

सिंग्रामपुर परिक्षेत्र की वन समितियों से फर्जीवाड़ा कर निकाली 70 लाख से अधिक की राशि

आरोप: प्रभारी रैंजर और एसडीओ दमोह सहित अन्य ने दिया करतूत को अंजाम

दमोहJul 13, 2019 / 07:03 pm

pushpendra tiwari

लाखों रुपए का गोलमाल

दमोह. शासन को चूना लगाने में वन विभाग पिछले कुछ समय से अव्वल चल रहा है। इसी क्रम में विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों रुपए का गोलमाल करने का एक और मामला सामने आया है। अधिकारियों ने सोची समझी साजिश के तहत करीब 70 लाख से अधिक की राशि वन समितियों से फर्जीवाड़ा कर निकाल ली। मामला उजागर होने के बाद अब अधिकारी मामले को दबाने में पुरजोर ताकत लगा रहे हैं। हालांकि यह मामला महानिदेशक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के संज्ञान में भी आ चुका है। वहीं मामले की शिकायत होने के बाद सीसीएफ सागर द्वारा जांच प्रतिवेदन चाहा गया है।
सिंग्रामपुर वन समितियों में हुआ खेल
वन मंडल दमोह के सिंग्रामपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाली वन समितियों के माध्यम से शासन की ७० लाख रुपए से अधिक राशि पिछले एक साल के भीतर निकाल ली गई है। मामले में आरोप है कि यह राशि अधिकारियों ने अपने अधिकार क्षेत्र का दुरपयोग करते हुए आहरित की है। जिन समितियों के माध्यम से राशि निकाली गई है उनकी संख्या एक दर्जन से अधिक है।
इन्होंने दिया कारनामे को अंजाम
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के महानिदेशक के समक्ष पहुंची शिकायत में उल्लेख किया गया है कि वन सिमितियों के माध्यम से जो लाखों की राशि निकाली गई है इस कारनामे को सिंग्रामपुर क्षेत्र के तत्कालीन प्रभारी रैंजर रामजी गौंड़ सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अंजाम दिया है। शिकायत में यह तथ्य भी शामिल है कि रामजी गौंड़ के अनुसार समस्त राशि एसडीओ दमोह गंधू सिंह धु्रवे के निर्देशन में निकाली गई है।
नहीं है सरकारी रिकार्ड
वन समितियों के जरिए निकाली गई राशि का सरकारी रिकार्ड नहीं होना बताया गया है। आरोप है कि प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा फर्जी कार्यों के प्रमाणक बनाए गए व मजदूरों के खातों से भुगतान न कराते हुए प्रभारी द्वारा स्वयं व अधिनस्थों द्वारा भुगतान कराना बताकर राशि हड़प ली गई। समितियों के माध्यम से निकाली गई राशि अलग अलग तिथियों में निकाली गई और संपूर्ण राशि जुलाई २०१८ से मई २०१९ के दौरान निकाली गई है।
इन तथ्यों के आधार पर एफआइआर की मांग
वर्तमान एसडीओ गंधू सिंह धु्रवे व तत्कालीन प्रभारी रैंजर सिंग्रामपुर के विरुद्ध इस मामले में एफआइआर दर्ज किए जाने की मांग शिकायतकर्ता द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ से की गई है। शिकायतकर्ता ने इन तथ्यों को एफआईआर का आधार माना है।
– संबंधित वन समिति के खाते से पैसा निकालकर किस मजदूर के खाते में भुगतान हुआ इसकी जांच क्यों नहीं की गई।
– भुगतान किस कार्य की एवज में किया गया है। कार्य का भौतिक सत्यापन आखिर क्यों नहीं हुआ।
– जो कार्य किया जाना बताया गया है, उस कार्य की तकनीकि स्वीकृति क्यों नहीं ली गई।
– राशि आहरण की समस्त स्वीकृतियां प्रभारी रैंज अफसर ने दी।
– सभी भुगतान २५ हजार रुपए से अधिक हैं।
– मौखिक आदेश पर राशियों का आहरण आखिर क्यों किया गया।
मामले की जांच के लिए कमेटी नियुक्त
इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए डीएफओ रिपुदमन भदौरया द्वारा जांच कमेटी नियुक्त की गई। प्रमुख जांच अधिकारी तेंदूखेड़ा एसडीओ को बनाया गया है साथ ही इस कमेटी में तीन अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। विदित हो कि मामले में जांच कमेटी तब बनाई जब सीसीएफ सागर द्वारा जांच करने के आदेश दिए गए। आदेश में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए ०७ दिनों की मौहलत दी गई थी। लेकिन इस समयावधि के भीतर जांच नहीं की गई। डीएफओ द्वारा करीब एक सप्ताह पहले पुन: जांच कमेटी को ०५ दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
वर्जन
मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है। शिकायत की जांच की जा रही है।
रिपुदमन भदौरया, डीएफओ

 

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