ठगने के बाद रुपए पाकर शिक्षक के चेहरे पर छाई खुशी –
ठगी का शिकार होने वाले शिक्षक नारायण प्रसाद दिनकर निवासी दमोह के खाते से किसी ने बैंक मैंनेजर बनकर पासवर्ड पूछकर उनके खाते से २३ हजार रुपए की ठगी कर ली थी। लेकिन रविवार को उनके खाते से रुपए निकलने के बाद उन्होंने तुरंत ही इसकी शिकायत पुलिस थाना के साथ एसपी कार्यालय के साइबर सेल में दर्ज कराई थी। जिससे उनके खाते से निकाले गए २३ हजार रुपए में से २१ हजार रुपए वापस दिला दिए गए। जिसके बाद वह काफी खुश हैं। इसी तरह से अंजली जैन अभाना के खाते से गए रुपए ४६ हजार ३०० रुपए, बहादुर सिंह लोधी जबलपुर नाका के ३८ हजार रुपए, रामकुमार पटैल बटियागढ़ के ३९ हजार रुपए, रामकुमार तिवारी दमोह के खाते से निकले ४८ हजार ९३१ रुपए, कन्छेदी अहिरवार दमोह के १४ हजार ५०० रुपए, रामलाल राठौर दमोह के खाते से २३ ६०० रुपए,अजय शर्मा दमोह के ४ हजार रुपए, बालकिशुन हथना के ३८ हजार रुपए, प्रतिभा भारेल के १८ हजार रुपए व गीताबाई बांदकपुर के खाते से निकले २३ हजार रुपए उन्हें वापस दिलाए गए। इसके अलावा भी अन्य कई उपभोक्ता हैं जो ठगी का शिकार हुए। जिन्हें रुपए वापस दिलाए गए। साल भर की अगर बात की जाए तो अब तक करीब ४ लाख रुपए से अधिक की राशि खातों से ट्रांस्फर होने के बाद वापस दिलाई गई।
इस ध्यान रखना है जरूरी –
उपभोक्ताओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति का फोन आने पर उसे मोबाइल पर प्राप्त होने वाला ओटीपी नंबर नहीं बताना चाहिए। जिले में बाहर से आने वाले फोन के माध्यम से ओटीपी एवं आधार कार्ड लिंक करने वाला गिरोह सक्रिय है। जो लाटरी बगैरह के लालच में आकर अपने खाते से संबंधित गोपनीय जानकारी मोबाइल किसी भी व्यक्ति को न बताएं। यदि वह बता देता है तो उसके साथ ठगी होने में समय नहीं लगता। खास बात यह है कि एटीएम कार्ड के माध्यम से एटीएम मशीन में ट्रांजैक्शन करते समय किसी भी अनजान व्यक्ति की मदद नहीं लेना चाहिए। उपभोक्ता को उस एटीएम में ट्रांजैक्शन करना चाहिए जहां पर सुरक्षा गार्ड मौजूद हो और स्वयं के अलावा दूसरा कोई व्यक्ति न हो।
उपभोक्ताओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति का फोन आने पर उसे मोबाइल पर प्राप्त होने वाला ओटीपी नंबर नहीं बताना चाहिए। जिले में बाहर से आने वाले फोन के माध्यम से ओटीपी एवं आधार कार्ड लिंक करने वाला गिरोह सक्रिय है। जो लाटरी बगैरह के लालच में आकर अपने खाते से संबंधित गोपनीय जानकारी मोबाइल किसी भी व्यक्ति को न बताएं। यदि वह बता देता है तो उसके साथ ठगी होने में समय नहीं लगता। खास बात यह है कि एटीएम कार्ड के माध्यम से एटीएम मशीन में ट्रांजैक्शन करते समय किसी भी अनजान व्यक्ति की मदद नहीं लेना चाहिए। उपभोक्ता को उस एटीएम में ट्रांजैक्शन करना चाहिए जहां पर सुरक्षा गार्ड मौजूद हो और स्वयं के अलावा दूसरा कोई व्यक्ति न हो।
ठगी होने पर क्या करें उपाय – साइबर सेल प्रभारी राकेश अठया, सौरभ टंडन व अजीत दुबे का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन रुपयों की ठगी की घटना घटित होती है, तो वह व्यक्ति तुरंत एटीएम बंद कराकर एसपी कार्यालय में अपने खाते की संपूर्ण जानकारी दें। आवेदन पत्र के साथ बैंक पासबुक की छाया प्रति, ट्रांजैक्शन का विवरण, मोबाइल में आए हुए एसएमएस की जानकारी, एटीएम कार्ड की फोटो कॉपी व आधार कार्ड या वोटर आईडी की छाया प्रति लेकर पहुंचें। यदि किसी का ट्रांजैक्शन हो गया है तो उसे बंद कराने के साथ 24 घंटे के भीतर जानकारी दें। जिससे ठगे गए रुपयों को वापस लाने का प्रयास किया जा सकता है।
जागरुकता है जरूरी-
उपभोक्ताओं को जागरुक रहना जरूरी है। सभी को चाहिए कि वह स्वयं जागरुक होने के साथ औरों को भी जागरुक करें। क्योंकि किसी भी बैंक से उपभोक्ता को फोन करके नहीं पूछा जाता। अगर कोई फोन करता भी है तो उपभोक्ता सीधे बैंक मैंनेजर से जाकर संपर्क करें। जिससे ठगी होने से स्वयं को बचाया जा सके। साइबर सेल ने बेहतर प्रयास करके साल भर में करीब ४-५ लाख रुपए वापस दिलाए हैं।
विवेक सिंह-पुलिस अधीक्षक
उपभोक्ताओं को जागरुक रहना जरूरी है। सभी को चाहिए कि वह स्वयं जागरुक होने के साथ औरों को भी जागरुक करें। क्योंकि किसी भी बैंक से उपभोक्ता को फोन करके नहीं पूछा जाता। अगर कोई फोन करता भी है तो उपभोक्ता सीधे बैंक मैंनेजर से जाकर संपर्क करें। जिससे ठगी होने से स्वयं को बचाया जा सके। साइबर सेल ने बेहतर प्रयास करके साल भर में करीब ४-५ लाख रुपए वापस दिलाए हैं।
विवेक सिंह-पुलिस अधीक्षक