125 सालों से चली आ रही गुरु-शिष्य परंपरा
गुरु-पूर्णिमा पर विशेष…इंदौर, महाराष्ट्र, बकायन शाखा के हैं शिष्य
Guru-disciple tradition that has been for 125 years
दमोह. बटियागढ़ ब्लॉक का बकायन गांव पिछले 125 सालों से गुरु-शिष्य परंपरा के तहत आयोजित होने वाला अखिल भारतीय गुरु-पूर्णिमा महोत्सव देश में विख्यात है। बकायन एक ऐसा केंद्र हैं जहां आज भी शास्त्रीय संगीत की मधुर तान गुरु-पूर्णिमा व उसके दूसरे दिन तक वातावरण में गूंजती हुई दिखाई देती है।
1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय इंदौर रियासत के प्रमुख यशवंत राव होलकर व सवाई तुकोजीराव होलकर द्वारा कला संस्कृति को बढ़ावा दिया। इंदौर दरबार में नाना साहब पानसे श्रेष्ठ कला साधक हो गए और मृदंग सम्राट से विभूषित हुए। नाना साहब पानसे के मृंदग वादन की विशेषता थी ‘थापÓ के बोल, खुला ‘बाजÓ तथा दांतों तले अंगुली दबा देने वाली विलक्षण लयकारी। अच्छे-अच्छे धुरंधर गणितज्ञ श्रोता भी हाथ पर ताली देकर पकड़ते-पकड़े हैरान हो जाते थे। नाना साहब पानसे की संगीत की ज्ञान गंगा प्रयागराज के संगम जैसी थी। जिसमें मृदंग की गंगा में नृत्य व गायन में यमुना व सरस्वती विलीन हो गई थीं। लगभग 89 साल में मृंदग सम्राट नाना साहब ने अपना नश्वर देह त्याग दी थी। इनके सुपुत्र बाला साहब पानसे पखावज व तबला वादन में निपुण थे, इनका निधन अल्पायु में हो गया था।
नाना साहेब की गुरु शिष्य परंपरा की सूची काफी लंबी हैं, लेकिन इनके एक शिष्य बलवंत राव टोपीवाले (पलटनीकर) ने गुरु-पूर्णिमा पर बकायन में 125 साल पहले गुरु-शिष्य परंपरा का शुभारंभ किया जो अब भी जारी है। नाना साहेब के शिष्य तीन भागों में बंटे हुए हैं। पहले इंदौर शाखा में पं. सखराम पंत आगले, पं. अंबादास पंत आगले, पं. कालिदास पंत आंगले, चित्रांगना पंत आगले, संजयपंत आगले शामिल हैं। दूसरी महाराष्ट्र श्रंखला में शंकर भैया घोरपड़कर, श्रीवामन राव चांदवड़कर, शंकर राव आलकुटकर, नारायण राव कोली, यमुना बाई, भाऊराव कुलकर्णी शामिल हैं।
तीसरी बकायन शाखा है जो नाना साहब पानसे को प्रत्येक गुरुपूर्णिमा को अखिल भारतीय संगीत समारोह का आयोजन 125 सालों से करती चली आ रही है। इस शाखा के पहले शिष्य पं. बलवंत राव टोपीवाल हैं। जिनकी नाना साहब पानसे तक पहुंचने की कहानी भी दिलचस्प है। कालांतर में जागीर व्यवस्था के तहत दो भाई माधवराव व बलवंतराव बकायन आकर रहने लगे। पं. माधवराव जंगल दरोगा फारेस्ट रेंजर के पद पर नियुक्त थे, उन्होंने अंग्रेज अफसर का विरोध किया था, जिस पर जंगल में उनकी हत्या करा दी गई थी। अब उनके भाई बलवंतराव पर भी संकट आ गया था। संगीत प्रेमी बलवंत राव ने ने अपना नाम बदला और इंदौर नाना साहब पानसे से संगीत शिक्षा अर्जित करने के बाद बलवंत टोपी वाले के रूप में विख्यात हो गए। इसके बाद बकायन आए और 1894 में अखिल भारतीय संगीत समारोह की नींव रखी। जिसका लेखा-जोखा भी आज बकायन में मौजूद है।
बकायन शाखा में प्रमुख शिष्य पं. बलवंत राव टोपीवाले, हरिनारायण, हरगोविंद, रामप्रसाद, जानकीबाई, मानीबाई, चुन्ना जान, मुन्ना जान, नत्थे खां कलावंत, शंकर राव पौराणिक व रामचरण तिवारी, पं. केशवराव पलटनीकर माफीदार, पं. दीनदयालु, पं. विश्वनाथ राव पलटनीकर शामिल हैं।
आज से शुरू होंगे कार्यक्रम
मंगलवार को सुबह 10 बजे से 2 बजे तक नाना साहब पानसे की झांकी पूजन व आमंत्रित कलाकार, शिष्यमंडली द्वारा स्वरांजलि जिसमें अनुराग कामले इंदौर वायलिन, गंधार देश पांडे मुंबई गायन, पं. विनोद द्विवेदी कानपुर धु्रपद गायन, सुचि कौशल जबलपुर कथक, यशवंत वैष्णव कोरबा तबला सोलो की प्रस्तुति दी जाएगी। मंगलवार रात्रि 8 बजे से पूरी रात अस्मिता ठाकुर पुणे कथक, जयतीर्थ मेवुंडी हुबली गायन, पद्यभूषण बुधादित्य मुखर्जी कोलकाता सितार, मनीषा मिश्रा लखनऊ कथक, पद्यश्री उल्लास कशालकर पुणे गायन की प्रस्तुति होगी। दूसरे दिन बुधवार को सुबह 8 बजे से शिष्यगणों द्वारा पूजन, आरती तथा अखाड़े की बंदिशों का गायन किया जाएगा। शाम 4 बजे से गंडा बंधन, प्रसाद वितरण व संगीत यात्रा प्रस्थान। शाम 5 से 7 हनुमान मंदिर में परंपरागत बंदिशों का गायन होगा। इस दौरान सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे की सभा में श्रेयसी पावगी ग्वालियर का गायन, रिचा बेड़ेकर उज्जैन का सरोद, अनुजा झोकरकर इंदौर का गायन, देवांगी पुरंदरे दिल्ली का कथक व सत्येंद्र सिंह सोलंकी मुंबई का संतूर वादन होग। रात्रि 8 बजे से निशा रागिनी में संतोष पंत मुंबई का बांसुरी वादन, लिप्सा सत्पथी दिल्ली का ओड़ीसी नृत्य, पद्यश्री पं. सुरेश तलवलकर व शिष्य पुणे पखावज संकीर्तन व एकल तबला वादन, पं. रघुनंदन पणशीकर पुणे का गायन, जवाहर लाल नेहरू मणिपुरी डांस अकादमी मणिपुर द्वारा मणिपुरी समूह नृत्य वसंतरास की प्रस्तुति दी जाएगी।
देश भर से ये कलाकार भी होंगे शामिल
अखिल भारतीय संगीत समारोह में संगीत कलाकार के रूप में तबला पर मयंक बेड़ेकर गोवा, रामेंद्र सिंह सोलंकी भोपाल, अक्षय कुलकर्णी पुणे, पुंडलीक भागवत बनारस, सौमेन नंदी कोलकाता, पं. रविनाथ मिश्र लखनऊ, आराध्य प्रवीण लखनऊ, भरत कामत पुणे, शकील अहमद दिल्ली, अनुतोष डेघरिया मुंबई, आशिक हुसैन ग्वालियर, मनु कौशल जबलपुर संगत देंगे। सारंगी पर फारख लतीफ मुंबई, विनोद कुमार मिश्रा लखनऊ, मोहम्मद अय्यूब दिल्ली, मजीद खां ग्वालियर, हनीफ हुसैन भोपाल, हारमोनियम पर देवेंद्र वर्मा दिल्ली, जमीर खां भोपाल, देवेंद्र देशपांडे पुणे, अभिषेक शिनकर पुणे, जितेंद्र शर्मा भोपाल, विनोद गंगानी दिल्ली, गौरीशंकर नागर गुना, आनंद किशोर निगम बनारस शामिल हैं। सहगायन व सह वादन आयुष द्विवेदी कानपुर, नागेश अडग़ांवकर पुणे, प्रवीण कश्यप लखनऊ, सुरंजन खंडालकर पुणे, विशाल पाठक मुंबई बांसुरी शामिल हैं। पखावज वादन में मनोज सालुंके ऋषिकेश, भगवत चव्हाण पुणे, सुजित लोहार पुणे, कृष्णा सालुंके पुणे, ओंकार दलवी पुणे, विमर्श मालवीय इलाबाद शामिल हैं। पढंत नृत्य की प्रस्तुति मेघा नागरद पुणे द्वारा दी जाएगी।
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