भैंस के आगे बीन बजती हुई कभी देखी हैं, अगर नहीं देखी तो अब देख लें
दमोहPublished: Jun 22, 2021 11:01:22 pm
भैंस के आगे बीन बजाना मुहावरे का सजीव किया प्रयोग
Have you ever seen a bean ringing in front of a buffalo, if you haven
दमोह. भैंस के आगे बीन बजाना मुहावरा शासन प्रशासन के लिए ही लिखा गया था, लेकिन इसका सजीव प्रयोग अब तक नहीं किया गया था। मंगलवार को कलेक्ट्रेट मप्र प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ निजी स्कूलों को खोलने की मांग मनवाने के लिए एक भैंस को लेकर पहुंचे उसके आगे बीन भी जमकर बजवाई जा रही थी।
निजी स्कूल संचालकों ने बताया कि पिछले 15 माह से स्कूल बंद हैं। सरकारी स्कूलों के मामले में मोहल्ला क्लासें सहित अन्य प्रयोग किए जा रहे हैं, लेकिन निजी स्कूलों को कोई छूट नहीं है। निजी स्कूल के ऑनलाइन संचालन में सबसे ज्यादा आरटीइ से प्रवेश प्राप्त विद्यार्थियों को पढ़ाई में दिक्कत आती है। वे लगातार शासन प्रशासन के समक्ष मांग उठा रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जिससे उनका ज्ञापन भैंस के आगे बीन बजाने के समान चरितार्थ हो रहा है। इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपने के लिए भैंस व बीन वादक का प्रयोग किया है। क्योंकि उन्हें मालूम है कि यह उनका ज्ञापन भी भैंस के आगे बीन बजाने के समान होगा। लेकिन अपनी मांगे मांगना अधिकार है। जिससे उन्होंने 11 बिंदुओं का ज्ञापन सौंपा है। जिसमें मांग की है कि मापदंड तयकर स्कूल खोलने की अनुमति दी जाए। विद्यार्थियों व स्टाफ का टीकाकरण कराया जाए। साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था कराई जाए। नर्सरी से बारहवीं तक विद्यार्थी जहां अध्ययनरत हैं, वहीं उनको पढऩे दिया जाए। जिन निजी स्कूल संचालकों ने बैंक ऋण लिए हैं, उसमें छूट दी जाए। राजस्व व परिवहन टैक्स व विद्युत शुल्क में छूट दी जाए। निजी संचालकों से लिया जाने वाला हर साल का शुल्क 2 हजार से 200 रुपए किया जाए। पूर्व से मान्यता प्राप्त स्कूलों की मान्यता 5 साल आगे बढ़ाई जाए। 15 माह से निजी स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई से गरीब वर्ग व मध्यम वर्ग के विद्यार्थी वंचित हो रहे हैं। जिससे निजी स्कूलों के संचालन की मांग उठा रहे हैं। इस तरह के ज्ञापन पूरे प्रदेश में सौंपे गए। जिसमें दमोह जिले के निजी स्कूल संचालक शामिल रहे।