दमोह/ बनवार. जबेरा जनपद की ग्राम पंचायत मनगुवां घाट से निकली शून्य नदी के तट से पत्थर का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। नदी के सूखे क्षेत्र का पत्थर मजदूरों से निकलवाया जा रहा है। इस पत्थर का उपयोग ग्राम पंचायत में चल रहे निर्माण कार्यों के लिए किया जा रहा है। शून्य नदी पर प्रतिदिन 20 से अधिक मजदूर पत्थर की तुड़ाई कर रहे हैं। इस पत्थर का उपयोग ग्राम पंचायत मनगुवां घाट में बनने वाली खखरी के लिए किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि शून्य नदी के निकले पठारी क्षेत्र पर लगातार उत्खनन किया जा रहा है जिससे कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे भी बन रहे हैं। आदेशों का खुला उल्लंघन हाईकोर्ट के निर्देश हैं कि प्रदेश में कहीं भी नदी का अवैध कटान नहीं होना चाहिए और न ही अवैध उत्खनन किया जाए। इसके बावजूद भी नदी के अंदर से पत्थर निकाला जा रहा है। दिन दहाड़े हो रहे अवैध खनन पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। व्यारमा नदी को भी कर चुके छलनी दमोह जिले की सबसे बड़ी पठारी नदी व्यारमा नदी से भी हजारों टन अवैध फर्शी व खकरी के लिए पत्थर निकाला गया है। इमलिया घाट व खर्राघाट क्षेत्र में कई सालों से अवैध उत्खनन कर खाई बना दी गईं। व्यारमा नदी से पत्थर तोडऩे के लिए ब्लास्टिंग का भी सहारा लिया गया था। जिससे नदी में पत्थर नहीं बचा है और कई जगह गहराई बढ़ गई है। इसके अलावा कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। जिससे नदी डबरों के रूप में दिखती है। सुनार नदी की धारा भी बदली दमोह जिले में सबसे ज्यादा नदी में अवैध उत्खनन सुनार नदी में किया गया है। चकेरी घाट से लेकर नरसिंहगढ़ और सीतानगर के पहले कई जगह नदी की धारा मुढ़ी हुई दिखाई देती है। जो एक तरह से अपराधिक कारनामा है, लेकिन इस पर किसी ने आवाज नहीं उठाई है। इस नदी के अंदर से पत्थर निकाला गया वहीं, किनारे से लगातार मुरम का खनन भी किया गया है। 30 से अधिक स्थानों पर उत्खनन व्यारमा, सुनार व शून्य नदी में करीब 30 से अधिक स्थानों पर पत्थर का उत्खनन किया गया है। यह उत्खनन ग्राम पंचायत स्तर पर चल रहे निर्माण कार्यों में किया गया है। इसके अलावा चीप पत्थर की खदानें भी अवैध रूप से संचालित की जा रही हैं। ग्राम पंचायतों में बनाए खकरी निर्माण में सर्वाधिक पत्थर नदियों की तलहटी से ही अवैध उत्खनन कर निकाला गया है। शिकायतें हुई कार्रवाई नहीं तीन साल पहले जब ग्राम पंचायतों में विकास चरम पर थे, प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौण खनिज से स्टापडैम, खखरी निर्माण व सड़कों का निर्माण किया जा रहा था, उस दौरान नदियों की तलहटी से पत्थर निकालने का कार्य भी चरम पर था। जगह-जगह नदी से निकाले पत्थरों के ढेर दिखाई देते थे। उस दौरान शिकायतें भी की गईं लेकिन जिले भर में एक भी बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। बारिश होते ही सूख जाती है नदियां नदियों में अवैध उत्खनन होने का खामियाजा यह हो रहा है कि बारिश बीतते ही नदियां रीतने लगती है। जिले की सबसे बड़ी व्यारमा ठंड से लेकर ग्रीष्मकाल तक डबरों में बदल जाती है। सुनार नदी में पानी पंचमनगर परियोजना के बाद साल भर दिखाई देने लगा है लेकिन पहले यह नदी भी डबरों में तब्दील हो जाती थी।