स्थिति यह है कि सड़क और भवनों के बीच दो फुट का भी अंतर नहीं है। जिन स्थानों पर यह परिस्थितियां निर्मित हैं वहां कभी सड़क हादसे घटित हो जाते हैं। खासतौर से इमलाई बायपास पर स्थिति अत्याधिक खराब है। यहां दर्जनों की संख्या में मकान व दुकानें हाइवे के दोनों तरफ सड़क से सटकर बनी हुईं हैं। जबकि इस मार्ग पर चौबीसों घंटे हर तरह के वाहनों की धमाचौकड़ी मची रहती है।
यहां की मौका स्थितियों को देखकर यह माना जा सकता है कि वाहन चालक जरा भी अनियंत्रित होता है तो भयाभय स्थिति निर्मित हो सकती है। देखा जा सकता है कि छतरपुर मार्ग को जोडऩे वाले इमलाई बायपास पर लोगों को मकान एक लाइन से बने हुए हैं। साथ ही दो सरकारी एक प्राइवेट स्कूल सड़क से सटकर संचालित हो रहा है।
करीब तीन किलोमीटर के इस बायपास पर रेलवे लाइन क्रास करने के बाद सड़क के दोनों ओर मकान शुरू हो जाते हैं। बताया गया है कि इस बायपास पर कई गंभीर सड़क हादसे घटित हो चुके हैं, जिनमें लोगों की जान जा चुकी है।
ऐसा ही आलम हटा-पन्ना मार्ग पर भी देखा जा सकता है। इस मार्ग पर पथरिया फाटक रेलवे ओवर ब्रिज क्रास करते ही सड़क के दोनों तरफ दर्जनों दुकानें संचालित हो रही हैं। दुकानदारों ने सड़क और दुकान में बिल्कुल भी अंतर नहीं छोड़ा है। ब्रिज से करीब डेढ़ मीटर के दायरे में तकरीबन दो दर्जन से अधिक दुकानें संचालित हैं। खासबात यह है कि यहां नजर आने वालीं सभी दुकानों का निर्माण लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर बनाया है। दुकानों की वजह से सड़क पर लोगों की चहलकदमी बनी रहती है। जबकि इस मार्ग पर दिन रात भारी वाहनों का आना जाना होता है। बताया गया है कि रेलवे ओवर ब्रिज से करीब डेढ़ किमी दूर स्थित हटा नाका तक कई बार गंभीर हादसे हुए हैं। हाल ही के दो माह पहले ओवर ब्रिज के समीप ही नपा अध्यक्ष का वाहन हादसे का शिकार हो गया था। इस दौरान नपाध्यक्ष सहित जिला पंचायत अध्यक्ष व अन्य जनप्रतिनिधि वाहन में मौजूद थे। उधर हटा नाका क्रास होने के बाद साहू तिराहा तक सड़़क के दोनों तरफ भवन निर्माण सामग्री की तकरीबन एक दर्जन दुकानें संचालित हो रहीं हैं। दुकानदारों ने भवन निर्माण सामग्री को सड़क से सटकर रखा हुआ है। हाल ही में इस मार्ग पर सड़क से सटकर मकान बने हुए हैं। यहां हाल ही में एक कार अनियंत्रित होकर एक कच्चे मकान में घुस गई थी। लोगों ने कहा अब तो आदत हो गई सड़क से सटकर बने मकानों में रहने वालेे लोगों से बात की तो उन्होंने खतरे की बात को स्वीकार तो किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अब तो सड़क के खतरे की आदत पड़ चुकी है। यहां प्रमुख रूप से यह तथ्य भी उजागर हुआ कि हाल ही के कुछ साल पहले बायपास का निर्माण हुआ था। लेकिन सड़क निर्माण के दौरान यहां अवैध कब्जों को नहीं हटाया गया। साथ ही हाइवे के उन मानकों को भी नजर अंदाज किया गया जिसके तहत सड़क के दोनों तरफ सटे मकानों को हटाकर खाली जगह छोड़ी जाती है। यहां एक बात और प्रमुख है कि सड़क से सटकर बने मकानों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। करीब पांच साल पहले जहां दो चार मकान बने थे अब वहां पर दर्जनों पक्के मकान नजर आ रहे हैं। हादसों से नहीं लिया सबक मार्गों पर बनी सड़क हादसों की स्थिति को दूर करने के लिए न ही प्रशासनिक कार्रवाई हुई और न ही हादसों से लोगों ने सबक लिया। यह बात जरूर देखी गई कि किसी हादसे में जान जाने पर लोगों द्वारा चकाजाम किया गया और घटना स्थल पर प्रशासन द्वारा ब्रेकर बना दिए गए। इमलाई बायपास पर तीन से चार जगहों पर स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं। जो हादसों की पहचान माने जाते हैं।
वर्जन सड़क निर्माण के दौरान अतिक्रमण को हटाया जाना चाहिए था। लेकिन जहां पर भी अवैध रूप से निर्माण कर मकान दुकानें बनाईं गईं हैं, उन्हें शीघ्र ही हटाया जाएगा। रविंद्र चौकसे, एसडीएम दमोह