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भक्तों का बेड़ा पार करने यूपी से एमपी के इस शहर आई थीं मां बड़ीदेवी

locationदमोहPublished: Sep 21, 2017 12:54:05 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

मप्र के दमोह का हजारी परिवार बना था माध्यम, अनेकों की हुई है मनोकामना पूरी, अब देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में जाना जाता है दमोह का बड़ीदेवी मां मंदि

I had come to this city from UP to cross the fleet of devotees

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संवेद जैन @ दमोह. शक्ति की भक्ति की पर्व नवरात्र आज से शुरु हो रहा है। शहर के प्रसिद्ध बड़ीदेवी मंदिर में गुरुवार अलसुबह से ही हजारों भक्त मां जगतजननी के समक्ष माथा टेकेंगे और मनोकामना रखेंगे। यहां सुबह से लेकर रात तक विविध आयोजन होंगे। जिसमें आप सब सराबोर नजर आएंगे।
इस मंदिर की क्या है विशेषता। कब हुई स्थापना। कैसे पड़ा मंदिर का नाम। यह सब जानकारी आप तक पहुंचाने के लिए पत्रिका ने बुधवार को बड़ीदेवी मंदिर पहुंचकर जानकारी जुटाई। करीब 400 साल पहले मंदिर में देवीजी की स्थापना की गई थी। इसके बाद से अब दूसरी बार मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। जिसके लिए भक्तगण बढ़ चढ़कर उत्साह दिखाते है।
हजारी परिवार ने की कुलदेवी की स्थापना
मंदिर का इतिहास बताता है कि करीब 400 वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले के कटहरा गांव से हजारी परिवार दमोह पहुंचा था। परिवार अपनी कुलदेवी मां महालक्ष्मी की मूर्ति लेकर भी लेकर लेकर पहुंचा था। माता की इस मूर्ति की स्थापना फुटेरा तालाब के पास स्थित उनकी ही जमीन पर उन्होंने किया था। इसके साथ ही मां सरस्वती और मां महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित की गई थीं।
मनोकामनाएं हुईं पूरी, नाम हुआ बड़ीदेवी
मां जगतजननी की मूर्तियों की स्थापना के बाद से लेकर लगातार यहां भक्तों का पहुंचना शुरु हुआ। हजारी परिवार की कुलदेवी के सामने जिस किसी ने भी अपनी कामना रखी। मां जगतजननी ने उसकी इच्छा पूरी कर दी। कुछ ही समय में लोग हजारी परिवार की कुलदेवी को बड़ीदेवी कहने लगे और लोग इस मंदिर को बड़ीदेवी के मंदिर के नाम से जानने लगे। जो अब देश भर में प्रसिद्ध तीर्थ बड़ीदेवी के नाम से प्रचलित है। पूर्व में बड़ी खेरमाई और बगीचा वाली माई के नाम से भी लोग यहां माता के दर्शन करने पहुंचते थे।
मंदिर बनाने का पहला प्रयास हो गया था असफल
मंदिर के पुजारी पंडित आशीष कटारे ने बताया कि पूर्वजों ने कहा कि करीब 200 वर्ष पूर्व छपरट वाले ठाकुर साहब ने मनोकामना पूरी होने पर बड़ीदेवी मंदिर बनाने का प्रयास किया था, लेकिन गुबंद क्षतिग्रस्त होने के बाद काम रोक दिया गया था। इसके बाद1979 में शहर के बाबूलाल गुप्ता ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। अब नया रूप मंदिर को दिया जा रहा है। जिसके लिए लोग खुलकर दान कर रहे है।
लगी कतार, अखंड संकीर्तन
नवरात्र के पूर्व बड़ीदेवी मंदिर समिति द्वारा पूरी तैयारियां कर ली हैं। पंडित आशीष कटारे ने बताया कि भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए व्यवस्थाएं की गई है। बेरीकेट्स के माध्यम से भक्तगण बारी-बारी से माता के दर्शनलाभ ले सकेंगे। सुबह ३ बजे से मां को जल चढ़ाने भक्त पहुंचने लगेगे। यहां सिलसिला ११ बजे तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि नवरात्र के दौरान परिसर में हे माता अम्बे, जय जगदंबे का अखंड संकीर्तन चतला है तो नवमीं तक चलेगा। भक्त घटकप्पर जबारे भी अपने नाम से यहीं बुवाते है। शाम को आरती का आयोजन रोजाना किया जाएगा।

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