scriptकब्जा मिला जाता तो बच जाती वृद्ध किसान की जिंदगी | If captured, the life of an old farmer would have survived | Patrika News

कब्जा मिला जाता तो बच जाती वृद्ध किसान की जिंदगी

locationदमोहPublished: Aug 29, 2019 10:23:37 pm

Submitted by:

lamikant tiwari

महज पौन एकड़ जमीन का पक्ष में फैसला मिला, कब्जा नहीं, इसलिए दे दी आग लगाकर जान

If captured, the life of an old farmer would have survived

If captured, the life of an old farmer would have survived

दमोह/हटा. पिछले कई सालों से साढ़े सात कुरे यानि पौन एकड़ जमीन पर हुए कब्जा हटवाने में असफल वृद्ध किसान खुद पर करोसिन उड़ेल कर खुद को जिंदा जला लिया जिससे उसकी मौत हो गई। मामले में दुखद पहलू यह सामने आया है कि गांवों में जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत अब भी चरितार्थ हो रही है। तहसील न्यायालय से कब्जा हटवाया गया था, सीमांकन कराया था, लेकिन पुन: दो दबंगों ने कब्जा कर लिया, जिससे निराश वृद्ध किसान को आत्मघाती कदम उठाने विवश होना पड़ा।
हटा थानांतर्गत पांजी गांव निवासी चिनू पटैल ने बताया कि उसके पिता बिरजू पिता भागीरथ पटैल ने बुधवार रात करीब १२ बजे के लगभग घर के बाहर ही केरोसिन डालकर आग लगा ली। जिन्हें हटा अस्पताल ले जाया गया था। लेकिन हालत गंभीर होने पर उन्हें देर रात जिला अस्पताल रेफर किया गया। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
क्या है पूरा मामला –
चिनू पटैल ने बताया कि पांजी गांव में उसकी साढ़े सात कुरे जमीन है, जिस पर गांव में ही रहने वाले दिनेश पटैल व मुकेश पटैल ने कब्जा कर रखा है। जिसको लेकर वह करीब १० साल से परेशान हो रहे हैं। वह खेत जोतने जाते हैं, तो दबंग उन्हें लाठियों व बल्लम लेकर मारने दौड़ते हैं। जिसके भय से उसके पिता को जब न्याय नहीं मिल सका तो उन्होंने दुखी होकर आत्महत्या कर ली।
जून में तहसील कार्यालय से जीत चुके थे केस –
चिनू पटैल ने बताया कि उन्होंने अवैध कब्जा को लेकर तहसील कार्यालय में प्रकरण दर्ज कराया था। जिसमें जून माह में उनके पक्ष में वहां से निर्णय दिया गया था। जिसके बाद जून माह में पटवारी व आरआई बगैरह मौके पर पहुंचे थे। जिन्होंने सीमांकन किया था। बाद में वह कब्जा करने के लिए कहकर चले गए थे। लेकिन उनके जाने के बाद फिर से दोनों आरोपी मुकेश व दिनेश पटैल ने फिर से कब्जा कर लिया था। वह फिर से पटवारी के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि कब्जा लेने का कार्य उसका स्वयं का है। जून माह में मुकेश व दिनेश ने मिलकर उड़द की बोवनी कर दी थी। तो बोवनी करते समय बिरजू पटैल ने मना किया पर वह लोग नहीं माने। उनके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद वह दहशत में आकर शांत हो गया। कहीं गांव के दबंग उसके परिजनों को जान से न मार दें। चिनू का कहना है कि घबराहट में उन्होंने फिर दोबारा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी।
मुकेश के पिता से खरीदी थी जमीन-
चिनू पटैल ने बताया कि उसके पिता ने कई सालों पूर्व पहले मुकेश-दिनेश पटैल के पिता से साढ़े सात कुरे जमीन खरीदी थी। जिसकी बही बगैरह सब कुछ उसके पास है। फिर भी आरोपी उसकी जमीन पर आए दिन कब्जा करके उसे जोतकर फसल लेते रहे। उसके पिता बिरजू किसी विवाद में नहीं पडऩा चाहते थे। इसलिए वह सब सहन करते रहे। लेकिन जब अति हो गई और उन्हें न्याय की उम्मीद नजर नहीं आई तो उन्होंने यह कदम उठा लिया।
वर्जन
बुध-गुरु की रात करीब १२.३० की घटना है, अभी दमोह से शून्य पर मर्ग कायम कर डायरी प्राप्त हो रही है। जिसमें परिजनों के बयानों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच में लिया जाएगा, दोषियों को बख्शा नही जाएगा।
विजय मिश्रा- थाना प्रभारी हटा
वर्जन
यदि कब्जा दिलाए जाने की बात है तो निश्चित ही मैं दिखवाता हूं। हर हाल में कब्जा दिलाया जाएगा। मैं कल ही दिखवाता हूं।
नारायण सिंह ठाकुर- एसडीएम हटा

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