एक कमरा का 50 हजार से अधिक किराया
महोत्सव में शामिल होने वाले लोगों को गांव में जो जगह किराए से मिली है, इसका किराया किसी फाइव स्टार होटल से भी दोगुना है। इस समय 10/10 फुट के एक कमरे का किराया भी यहां ५० हजार रुपए से अधिक है। खासबात यह है कि इतना किराया देने के बाद भी अब जगह नहीं मिल पा रही है। जानकारी अनुसार महोत्सव में शामिल होने के लिए आ रहे कई लोगों के द्वारा किराए की रकम ग्रामीणों को एडवांस में ही दे दी गई थी, जिससे बाथरूम सहित अन्य व्यवस्थाएं ग्रामीणों द्वारा उपलब्ध करा दीं जाएं।
महोत्सव में शामिल होने वाले लोगों को गांव में जो जगह किराए से मिली है, इसका किराया किसी फाइव स्टार होटल से भी दोगुना है। इस समय 10/10 फुट के एक कमरे का किराया भी यहां ५० हजार रुपए से अधिक है। खासबात यह है कि इतना किराया देने के बाद भी अब जगह नहीं मिल पा रही है। जानकारी अनुसार महोत्सव में शामिल होने के लिए आ रहे कई लोगों के द्वारा किराए की रकम ग्रामीणों को एडवांस में ही दे दी गई थी, जिससे बाथरूम सहित अन्य व्यवस्थाएं ग्रामीणों द्वारा उपलब्ध करा दीं जाएं।
एक कमरे में सिमट गए परिवार
किराए पर कमरे देने के लिए ग्रामीणों को मुंह मांगी कीमतें मिली है। इधर लोगों ने भी अपने मकान के चार कमरों में से तीन कमरों को किराए पर दे दिया। इससे जहां स्थानीय लोगों को खासी आय हुई है, तो वहीं महोत्सव में शामिल होने वालों को ठहरने के लिए जगह मिल गई।
किराए पर कमरे देने के लिए ग्रामीणों को मुंह मांगी कीमतें मिली है। इधर लोगों ने भी अपने मकान के चार कमरों में से तीन कमरों को किराए पर दे दिया। इससे जहां स्थानीय लोगों को खासी आय हुई है, तो वहीं महोत्सव में शामिल होने वालों को ठहरने के लिए जगह मिल गई।
दमोह में भी सभी होटल बुक हुए
बता दें कि कुंडलपुर जिले का एक छोटा सा गांव है, जो पटेरा तहसील अंतर्गत आता है और जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है। कुंडलपुर में ठहरने के लिए एक भी होटल नहीं है। कुंडलपुर पहुंचने वाले या, तो मंदिर कमेटी के द्वारा की गई व्यवस्था में रूकते हैं या होटल में रूकना हो, तो लोगों को दमोह शहर में ही होटल उपलब्ध होते हैं। फिलहाल दमोह में जितने भी छोटे बड़े होटल हैं वह पहले से ही बुक हो चुके हैं।
बता दें कि कुंडलपुर जिले का एक छोटा सा गांव है, जो पटेरा तहसील अंतर्गत आता है और जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है। कुंडलपुर में ठहरने के लिए एक भी होटल नहीं है। कुंडलपुर पहुंचने वाले या, तो मंदिर कमेटी के द्वारा की गई व्यवस्था में रूकते हैं या होटल में रूकना हो, तो लोगों को दमोह शहर में ही होटल उपलब्ध होते हैं। फिलहाल दमोह में जितने भी छोटे बड़े होटल हैं वह पहले से ही बुक हो चुके हैं।
इसलिए ठहरने की व्यवस्था में आई कमी
मंदिर कमेटी से मिली जानकारी के अनुसार करीब 1500 कोटेज कमेटी द्वारा तैयार कराए जा रहे हैं। जिम्मेदार पदाधिकारियों ने बताया है कि कोरोना की वजह से रूकने की व्यवस्था को सीमित रखा गया है और करीब दस हजार लोगों के लिए रूकने की व्यवस्था की गई है। कोरोना की तीसरी लहर से पहले महोत्सव को लेकर, जो योजना तैयार हुई थी उसमें ४०० एकड़ जगह में गांव बनाए जा रहे थे। बता दें कि कुंडलपुर पहुंच रहे हजारों लोगों को रूकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
मंदिर कमेटी से मिली जानकारी के अनुसार करीब 1500 कोटेज कमेटी द्वारा तैयार कराए जा रहे हैं। जिम्मेदार पदाधिकारियों ने बताया है कि कोरोना की वजह से रूकने की व्यवस्था को सीमित रखा गया है और करीब दस हजार लोगों के लिए रूकने की व्यवस्था की गई है। कोरोना की तीसरी लहर से पहले महोत्सव को लेकर, जो योजना तैयार हुई थी उसमें ४०० एकड़ जगह में गांव बनाए जा रहे थे। बता दें कि कुंडलपुर पहुंच रहे हजारों लोगों को रूकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
वर्जन
कुंडलपुर आने वालों के रूकने की किसी तरह की कोई व्यवस्था प्रशासनिक तौर पर नहीं की गई है। शासन के इस संबंध में कोई निर्देश नहीं हैं। यह सामाजिक कार्यक्रम है।
विकास अग्रवाल, तहसीलदार पटेरा
कुंडलपुर आने वालों के रूकने की किसी तरह की कोई व्यवस्था प्रशासनिक तौर पर नहीं की गई है। शासन के इस संबंध में कोई निर्देश नहीं हैं। यह सामाजिक कार्यक्रम है।
विकास अग्रवाल, तहसीलदार पटेरा