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कुंडलपुर में रहना है, तो 10/10 फुट के कमरे का देना होगा 50 हजार रुपए

locationदमोहPublished: Feb 10, 2022 05:36:14 pm

Submitted by:

pushpendra tiwari

मकान, तो दूर लोगों ने घरों की दहलानों को भी हजारों के किराए में दिया

कुंडलपुर में रहना है, तो 10/10 फुट के कमरे का देना होगा 50 हजार रुपए

कुंडलपुर

दमोह. कुंडलपुर में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में आयोजित हो रहे पंचकल्याणक महोत्सव को लेकर देश भर से हजारों लोगों का यहां पहुंचना शुरू हो चुका है। महोत्सव करीब एक सप्ताह तक चलेगा, इस बीच लोगों के ठहरने के लिए मंदिर कमेटी द्वारा, जो व्यवस्था की गई है वह 10 हजार लोगों तक सीमित हैै। इन परिस्थितियों में लोगों को खुद के ठहरने की व्यवस्था अपने स्तर पर ही निपटानी पड़ रही है। लिहाजा कुंडलपुर सहित आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों ने अपने घरों, दहलानों, बाड़ों को किराए पर दे दिया है। अब स्थिति यह है कि कुंडलपुर गांव में एक कमरे की जगह भी किराए पर मिलना नामुमकिन बन गया है।
एक कमरा का 50 हजार से अधिक किराया


महोत्सव में शामिल होने वाले लोगों को गांव में जो जगह किराए से मिली है, इसका किराया किसी फाइव स्टार होटल से भी दोगुना है। इस समय 10/10 फुट के एक कमरे का किराया भी यहां ५० हजार रुपए से अधिक है। खासबात यह है कि इतना किराया देने के बाद भी अब जगह नहीं मिल पा रही है। जानकारी अनुसार महोत्सव में शामिल होने के लिए आ रहे कई लोगों के द्वारा किराए की रकम ग्रामीणों को एडवांस में ही दे दी गई थी, जिससे बाथरूम सहित अन्य व्यवस्थाएं ग्रामीणों द्वारा उपलब्ध करा दीं जाएं।
एक कमरे में सिमट गए परिवार
किराए पर कमरे देने के लिए ग्रामीणों को मुंह मांगी कीमतें मिली है। इधर लोगों ने भी अपने मकान के चार कमरों में से तीन कमरों को किराए पर दे दिया। इससे जहां स्थानीय लोगों को खासी आय हुई है, तो वहीं महोत्सव में शामिल होने वालों को ठहरने के लिए जगह मिल गई।
दमोह में भी सभी होटल बुक हुए
बता दें कि कुंडलपुर जिले का एक छोटा सा गांव है, जो पटेरा तहसील अंतर्गत आता है और जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है। कुंडलपुर में ठहरने के लिए एक भी होटल नहीं है। कुंडलपुर पहुंचने वाले या, तो मंदिर कमेटी के द्वारा की गई व्यवस्था में रूकते हैं या होटल में रूकना हो, तो लोगों को दमोह शहर में ही होटल उपलब्ध होते हैं। फिलहाल दमोह में जितने भी छोटे बड़े होटल हैं वह पहले से ही बुक हो चुके हैं।
इसलिए ठहरने की व्यवस्था में आई कमी
मंदिर कमेटी से मिली जानकारी के अनुसार करीब 1500 कोटेज कमेटी द्वारा तैयार कराए जा रहे हैं। जिम्मेदार पदाधिकारियों ने बताया है कि कोरोना की वजह से रूकने की व्यवस्था को सीमित रखा गया है और करीब दस हजार लोगों के लिए रूकने की व्यवस्था की गई है। कोरोना की तीसरी लहर से पहले महोत्सव को लेकर, जो योजना तैयार हुई थी उसमें ४०० एकड़ जगह में गांव बनाए जा रहे थे। बता दें कि कुंडलपुर पहुंच रहे हजारों लोगों को रूकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
वर्जन
कुंडलपुर आने वालों के रूकने की किसी तरह की कोई व्यवस्था प्रशासनिक तौर पर नहीं की गई है। शासन के इस संबंध में कोई निर्देश नहीं हैं। यह सामाजिक कार्यक्रम है।
विकास अग्रवाल, तहसीलदार पटेरा

 
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