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इल्ली अब तितली बन उडऩे को तैयार,किसानों को दे गई यह दर्द, पढ़ें पूरी खबर

locationदमोहPublished: Dec 20, 2017 11:12:27 am

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

जिले में चने की फसल में इल्ली की मार बेजार हुआ किसान, इल्ली को मारने दवाएं भी नहीं आई काम

In the district of Gram crop of Worm hindi news MP

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दमोह. सूखे की साल में खरीफ फसल में आर्थिक बदहाली का शिकार किसान जैसे-तैसे जोड़-तोड़ से रबी सीजन की फसल लहलहाने में जुट था, वहीं मौसम के विपरीत प्रभाव व बादलों से मौसम में उतार चढ़ाव के चलते दमोह जिले में चने की फसल में इल्ली का प्रकोप बढ़ गया है। कहीं-कहीं तो इल्ली का जीवनकाल फोर्थ स्टेज पर पहुंच गया है। जिससे किसानों के माथे पर बल पडऩा शुरू हो गए हैं।
दमोह जिले में इस बार रबी सीजन में चना की बोवनी 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में की गई है। दमोह जिले के सभी ब्लॉकों में दिसंबर माह में तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति के साथ बादलों का डेरा होने से मौसम अनुकूल न होने और सिंचाई का पर्याप्त प्रबंध न होने के कारण इल्ली का प्रकोप बढऩे लगा है। चने की फसल में अंडे, इल्ली, प्यूपा फिर तितली बनने का सफर जारी है, लेकिन इस सफर में किसान को आर्थिक बदहाली से दूर कराने की आशा की किरण चना फसल को खोखला करने में लगी हुई है।
देवडोंगरा के किसान धरम पाल सिंह ने बताया कि उनके यहां इल्ली बड़ी हो गई है। इल्ली का जब प्रकोप बढ़ा था तब बाजार में उपलब्ध में दवाईयों का छिड़काव किया, लेकिन किसी प्रकार का कोई फायदा नहीं हुआ है। जबेरा क्षेत्र के किसान बसंत राय बताते हैं कि उनके यहां अभी शुरूआती दौर में इल्ली है। उपलब्ध दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन इल्ली मर नहीं रही है। इसी तरह हटा, पथरिया, पटेरा, तेंदूखेड़ा, बटियागढ़, दमोह ब्लॉक के किसानों का कहना है कि इस बार इल्ली का प्रकोप अत्याधिक दिखाई दे रहा है, जिससे इस बार चने में आर्थिक हानि की आशंका अभी से जताई जा रही है। किसानों के अनुसार बाजार में अमानक दवाईयां उपलब्ध हैं, जो इल्ली पर सही तरीके से काम नहीं कर रही हैं।

इल्ली का जीवनकाल
इल्ली की चार अवस्था होती हैं। प्रथम व द्वितीय अवस्था (इंस्टार) इन दो अवस्थाओं की इल्ली का नियंत्रण आसान होता है, लेकिन तीसरे व चौथे अवस्था (इंस्टार) में इसका नियंत्रण कठिन होता है। क्योंकि यह काफी बड़ी व मजबूत हो चुकी होती है। इसके बाद प्यूपा (शंखी) अवस्था के बाद तितली बनकर उड़ जाती है।
इल्ली बढऩे में किसान की लापरवाही
इधर कृषि अधिकारी व कृषि वैज्ञानिक किसानों की इस बात पर इत्फाक नहीं रखते हैं कि बाजार में उपलब्ध दवाएं अमानक हैं और इल्ली को मारने के लिए कारगर नहीं है। इस संबंध में ये दोनों विभाग किसान की लापरवाही मानते हैं। किसान वैज्ञानिक द्वारा अनुसंशित दवा व सही मात्रा में छिड़काव करें। सही दवा व सही मात्रा न होने से कीट नियंत्रण नहीं हो पाता है। फलत: किसान की पूंजी व श्रम बर्बाद होता है। इधर बाजार में अमानक दवाई कम दाम में उपलब्ध होने से भी किसान अमानक दवा खरीद लेता हैं फिर उसके हाथ पछतावा के अलावा कुछ नहीं रह जाता है।
80 के लिए सेंपल 50 मानक
उपसंचालक कृषि बीएल कुरील का कहना है कि कृषि विभाग के कीटनाशक निरीक्षकों द्वारा लगातार दुकानों का निरीक्षण कर सैंपल लिए गए हैं। जिले में रबी सीजन में कुल 80 सेंपल लिए गए थे जिनमें से 50 की रिपोर्ट मानक स्तर की आई है, 30 के सेंपल आना शेष है। हम लगातार अमानक दवाओं का विक्रय रोकने के लिए फील्ड पर काम कर रहे हैं।
इन दवाओं से मरेगी इल्ली
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेश द्विवेदी किसानों को सलाह देत हैं कि यदि चना व मटर में इल्ली का शुरुआती प्रकोप दिखाई दे तो प्रोपेनोफास 40 ईसी 500 मिली एक एकड़ की दर से छिड़काव करें। यदि इल्ली बहुत बड़ी हो गई हो तो इमामेक्टिन वेन्जोऐट पांच एसजी (व्यापारिक नाम प्रोक्लेम, वेन्जर) 100 ग्राम एक एकड़ की दर या फ्लूमेंडामाइड (व्यापारिक नाम फेम, फ्लूट्रान, मिसाइ) 100 मिली एक एकड़ की दर से छिड़काव करें। एक एकड़ में 150 से 200 लीटर पानी की मात्रा भी होनी चाहिए।
वर्जन
जिले में इल्ली का प्रकोप बढ़ रहा है। मैदानी अमला इसके निदान के लिए किसानों को सलाह दे रहा है। यदि दवाओं के छिड़काव असर नहीं हो रहा है तो इसके पीछे छिड़काव के पंप व पानी की मात्रा में गड़बड़ी के कारण यह स्थिति बन सकती है। जिले में सभी दवाएं मानक स्तर की उपलब्ध हैं।
बीएल कुरील, उपसंचालक कृषि दमोह
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