scriptअतिक्रमण की चपेट में नामोनिशान मिट गया फिल्टर तलैया का | In the grip of encroachment, the name of the filter tank was erased | Patrika News

अतिक्रमण की चपेट में नामोनिशान मिट गया फिल्टर तलैया का

locationदमोहPublished: Jan 28, 2022 10:02:50 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

अतिक्रमण की चपेट में नामोनिशान मिट गया फिल्टर तलैया का

In the grip of encroachment, the name of the filter tank was erased

In the grip of encroachment, the name of the filter tank was erased

दमोह. नगर पालिका परिषद के फिल्टर प्लांट के पीछे बैक वॉटर से बनी फिल्टर तलैया के नाम पर मशहूर थी, जहां पर शहर के वाहन धुलते थे। लेकिन इस तलैया का अब पूरी तरह नामोनिशान मिट गया है। बड़ी घास की झाडिय़ां और एक मुहाने पर मकान तन गए हैं।
दमोह शहर जल अभाव क्षेत्र माना जाता है, लेकिन पूर्व के योजनाकारों ने ताल व तलैयों पर विशेष ध्यान दिया था। फिल्टर प्लांट के बेकार पानी को तलैया का स्वरूप दिया गया था, जिसके पानी का उपयोग भी निस्तार के रूप में किया जाता था। गर्मियों में बच्चे यहां नहाने जाते थे और ऊथली तलैया होने से जिन्हें तैरना नहीं आता था वह तैराकी सीखते थे, फिल्टर प्लांट का पानी आने से यहां का पानी भी खराब नहीं था। फिर इसके बाद यहां पर शहर की बसें, जीप व कारें और मोटर साइकिलें भी धुलने लगी थी। जटाशंकर, कलेक्टर बंगला और फिल्टर प्लांट के मध्य स्थित यह तलैया शहर के लोगों के लिए उपयोगी थी, लेकिन धीरे-धीरे इसके मुहाने पर अतिक्रमण होने लगे, इसका रकबा दिनों दिन घटने लगा और इसे सुखाकर बाकी बचे हिस्से पर मकान बनाए जाने की कवायद दिनों दिन जारी है। जिस पर किसी का ध्यान नहीं है।
फिल्टर के आगे व पीछे बने आवास
1990 के दशक में कलेक्टर बंगला के पीछे फिल्टर तलैया और फिल्टर प्लांट के बाद खाली मैदान था। इसके बाद फिल्टर प्लांट के इंदिरा कॉलोनी के छोर पर नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों द्वारा कॉलोनी काटी गई, जिसके पट्टे भी बनवा लिए गए। इस देखादेखी का चलन ऐसा हुआ कि सैंकड़ों एकड़ खाली सरकारी जमीन पर पक्के आवास बन गए। इसके बाद सार्वजनिक प्रयोजन के लिए छोड़ी गई जमीनों पर कब्जा किया गया, फिर जलस्रोतों को सुखाकर इसकी खाली जमीन पर आवास बनने का चलन शुरू हुआ जो अब भी जारी है।
जल संकट में मददगार बनती थी तलैया
फिल्टर प्लांट की तलैया दमोह में आने वाले हर साल के ग्रीष्मकालीन जलसंकट में काफी मददगार साबित होती थी। इस तलैया के कारण आसपास के रहवासी दिन चर्या में अतिरिक्त पानी का इस्तेमाल इसी तलैया से करते थे। जहां पानी भरा होने के कारण यह गंदा भी नहीं होता था, जिससे शहर के तालाबों के बजाए लोग सबसे ज्यादा इसी तलैया की ओर आकर्षित होते थे।
तलैया को सुखाकर बनाए आवास
फिल्टर प्लांट की तलैया का दायरा बढ़ा होने के कारण इसके किनारों को धीरे-धीरे कचरे या अन्य अवशिष्ट पदार्थों को ढालकर भरा गया। जिसके बाद आवास बनाने लायक जगह निकलने पर पुराव करा दिया गया। इसके बाद आवास बना लिए गए। 2018 विधानसभा चुनाव के पहले पट्टे भी बांट दिए गए थे। अब फिर से बची खुची तलैया को सुखाकर इसका पुराव कर इस पर अतिक्रमण करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभी से अवैध कब्जेधारियों ने अपने कब्जे के चिह्न अंकित कर दिए है, जिससे आगामी सालों में फिल्टर प्लांट तलैया का नामोनिशान मिटाकर यह आवासीय इलाके में तब्दील हो जाएगा। कलेक्टर बंगला के पीछे हो रहे सालों से अतिक्रमण से राजस्व अमला भी बेखबर बना हुआ है।
 
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो