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damoh सर्वें में खुलासा : रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य व सिंगौरगढ़ में गिद्धों की बढ़ी संख्या

दमोह. देश में गिद्धों की नौ प्रजातियां हैं, जबकि बुंदेलखंड में सात प्रजातियां मिलती हैं जिनमें से चार लम्बी.चोंच वाला गिद्ध, सफेद पीठ वाला, राजगिद्ध व इजिप्शियन गिद्ध यहां की स्थानीय प्रजातियां हैं। इसके अलावा तीन प्रजातियां हिमालयन ग्रिफॉन, युरेसियन गिफान व सिनेरियस गिद्ध सर्दी में यहां प्रवास करते हैं। यह महत्तवपूर्ण जानकारी बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के संरक्षण जीव विज्ञानी योगेश वामदेव द्वारा दी गई है। जिले के रानी दुर्गावती वन्यजीव अभ्यारण्य, सिंगौरगढ़ में गिद्धों के घोसलों के नियमित सर्वे के दौरान वहां एक सौ से भी ज्यादा गिद्ध मिले जिनमें ज्यादातर प्रवासी हिमालयन ग्रिफॉन व युरेसियन ग्रिफॉन थे।
बताया गया है कि गिद्ध जो कि प्रकृति का माहिर सफाई कर्मी पक्षी है, कभी बहुतायत में पाए जाते थे। लेकिन वर्तमान में पशु इलाज में प्रयोग की जाने वाली दर्द निवारक दवा डाइक्लोफिनेक के कारण देश में इनकी संख्या कुछ ही हजारों में शेष रह गई है। गिद्ध मृत पशुओं के शवों को खाकर पर्यावरण व प्रकृति की सफाई करते हैं। इनका समाज की बेहतरी में बहुत बड़ा योगदान है। इन प्रजातियों के प्रति लोगों को संवेदनशीलता बरतते हुए उन्हें बचाने का प्रयास करना चाहिए. इसका संदेश भी फैलाना चाहिए ।
संस्था के संरक्षण जीव विज्ञानी ने बताया कि डाइक्लोफिनेक दवा से इलाज के दौरान यदि 72 घंटे के अंदर पशु की मौत हो जाए तो यह दवा उसके शरीर में ही रह जाती है और ऐसे मृत पशु के शव को जब गिद्ध खाते हैं, तो यह दवा उनके शरीर में पहुंच कर किडनी खराब कर उनकी मौत का कारण बनती है । भारत सरकार ने 2006 में डाइक्लोफिनेक दवा को पशु इलाज के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी इसका प्रयोग किया जा रहा है। भारत सरकार ने 2015 से मानव उपचार वाली डाइक्लोफिनेक दवा को बड़ी शीशी में पैक करना भी प्रतिबंधित कर दिया है ।
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