Interesting : सूर्य उदय होते ही बाल्टी, थैला लेकर निकलता है तो पीछे लग जाते हैं मूक प्राणी
सूर्य उदय होते ही बाल्टी, थैला लेकर निकलता है तो पीछे लग जाते हैं मूक प्राणी समझ जाते हैं कि सुबह का नाश्ता लेकर आ रहा है उनका मददगार

राकेश पलंदी @ दमोह. सूर्य उदय होते ही जैसे ही पक्षियों चहचहाहट शुरू हो जाती है, थोड़ा सा उजाला निकलने लगता है तो फुटेरा तालाब पर देवी मंदिर से पकी की ओर जाने वाले रास्ते पर मूक प्राणियों की हलचल बढ़ जाती है। मवेशी, कुत्तों के झुंड, कौओं की कांव-कांव तेज हो जाती है। पठानी मोहल्ला निवासी डॉ. रफीक खान पिछले करीब पांच साल से एक बाल्टी व एक थैला में मवेशियों, कुत्तों, कौओं, कबूतरों व चिडिय़ों के लिए खाना व दाना लेकर निकलते हैं। जिसमें रोटी, ब्रेड, बिस्किट, टोस्ट, अनाज के दाने जो भी उपलब्ध हो जाता है, उसे बाल्टी व थैले में लेकर निकल पड़ते हैं। डॉ. रफीक खान का कहना है कि प्रकृति के करीब आने और मूक प्राणियों को खिलाना उनका शौक बन गया है। यह उनकी दिनचर्या हो गई है। अब तो स्थिति यह बन गई है कि मूक प्राणियों को उनके आने का वक्त पता चल जाता है जैसे ही वे फुटेरा फाटक पार करते हैं, तो उनके पीछे कुत्तों का झुंड चल पड़ता है। निर्धारित स्थल ईदगाह के आसपास यह मवेशियों, कुत्तों व पक्षियों के लिए दाना व खाना डालने लगते हैं। डॉ. रफीक खान कहते हैं कि वह सुबह उठकर पहले पठानी मोहल्ला मस्जिद में नमाज अदा करते हैं, इसके बाद मार्निंग वॉक पर निकलते हैं, यह कई सालों से उनकी आदत में शुमार है। करीब पांच साल पहले जब उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में मवेशी, पक्षी, कुत्ते भूखे इधर-उधर खाना तलाश रहे हैं तो उनके मन में यह ख्याल आया और शुरुआत में एक पॉलीथिन लेकर आने लगे इसके बाद अब स्थिति यह हो गई है कि एक बाल्टी व एक थैला में सामग्री लेकर आनी पड़ती हैं।
मछलियों का भी रखते हैं ख्याल मूक प्राणियों को खाना खिलाने के बाद फुटेरा तालाब में तैराकी करते हुए नहाना भी शौक है, अब जब नहाना शुरू किया तो मछलियों के लिए भी खाने का ख्याल आया। इसलिए नियमित रूप से नहाने से पहले मछलियों के लिए भी दाना डालते हैं। डॉ. रफीक खान की इस दिनचर्या से फुटेरा तालाब की ओर मार्निंग वॉक वाले सभी लोगों के साथ मूक प्राणि भी परिचित हो गए हैं। प्रकृति के लिए हमें भी कुछ करना चाहिए डॉ. रफीक खान कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए और उसे ऐसे काम करना चाहिए जिससे उसे दिन भर सुकून मिले। इस तरह के कार्य से उनका दिन अच्छा बीतता है, मन में शांति बनी रहती है। घर परिवार चलाने के लिए खुदा हमें इतना देता है कि हम मूक प्राणियों के खाने के इंतजाम के लायक बन गए हैं और इसे आखिरी सांस तक जारी रखने की तमन्ना रखते हैं।

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