सबके कल्याण की भावना भाने वाले ही तीर्थंकर बनते है. मुनि अचलसागर
दमोहPublished: May 11, 2019 02:43:50 pm
सबके कल्याण की भावना भाने वाले ही तीर्थंकर बनते है. मुनि अचलसागर
सबके कल्याण की भावना भाने वाले ही तीर्थंकर बनते है. मुनि अचलसागर
दमोह. दिगंबर जैन नन्हे मंदिर दमोह में मुनि विमल सागर, मुनि अनंत सागर, मुनि धर्म सागर, मुनि अचल सागर, मुनि भाव सागर विराजमान है।
शुक्रवार की सुबह धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि अचल सागर जी ने कहा कि जो सबके कल्याण की भावना भाता है, वही तीर्थंकर बनता है। मुनिश्री ने कहा कि हमारे अंदर ऐसे भाव होना चाहिए कि हमें पुण्य के कार्य करना है। थोड़ी वस्तु प्राप्त करना है, तो बहुत कुछ छोडऩा पड़ता है। ऐन केन प्रकारेण हमें स्वार्थ को त्यागना होगा। आचार्य विद्यासागर महाराज के आभामंडल को देखकर विशुद्धि बढ़ती है। आचार्यश्री के प्रवचन सुनने नाग नागिन का जोड़ा भी आता था। वर्तमान में आचार्यश्री का प्रभाव तीर्थंकर जैसा है।
अपने भाग्य को हम बदल सकते हैं। जैसे-जैसे साधन बढ़ते जा रहे हैं, टेंशन बढ़ती जा रही है। हमारी नकारात्मक मानसिकता बनती जा रही है। आप अपने परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी में सामंजस्य नहीं बना पा रहे हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर घर परिवार पर माहौल खराब हो रहा है। यूज एंड थ्रो की मानसिकता रिश्तों में हो गई है। हमें क्या सोचना है, कैसे सोचना है, यह भी देखें। हमें अपने भाग्य को बदलना है तो कुछ अच्छा करें। सबके हित में सोचेंगे तो अपना भी होगा तू अपना भी हित होगा।
शाम की धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि भावसागर ने कहा कि गंधोदक की महिमा अपरंपार है। मैना सुंदरी ने गंधोदक से अपने पति श्रीपाल सहित 700 रोगियों का रोग दूर किया था। जिनबिम्ब प्रतिष्ठा की विधि में पंचकल्याणक के माध्यम से तप कल्याणक के दिन अंग न्यास व ज्ञान कल्याणक के दिन वीजाक्षरों का आरोपण एवं मंत्र न्यास विधि में प्रतिमा में मंत्रो का आरोपण दिगंबर जैन मुनि के द्वारा किया जाता है। जलाभिषेक की धारा से जो जल प्रतिमा पर गिरता है, उन मंत्रों व अभिषेक के समय उच्चारित मंत्रों का प्रभाव जल में आ जाता है। इससे वह जल गंधोदक के रूप में वंदनीय हो जाता है। जिन प्रतिमा अभिषेक अनादि काल से चल रहा है।