लोधी के मुकबाले लोधी को उतारने की रणनीति बना रही कांग्रेस
विधानसभा में जाति से जाति की टकराहट में घाटे में रह चुकी है कांग्रेस

दमोह. भाजपा यदि सांसद प्रहलाद पटैल को पुन: दमोह लोकसभा से चुनाव लड़ाने के लिए टिकट देती है तो कांग्रेस की रणनीति लोधी के मुकाबले लोधी को उतारने की बनती हुई नजर आ रही है। भाजपा व कांग्रेस में लोकसभा की टिकट के लिए नेताओं ने मैराथन दौड़ लगाना शुरू कर दी है, जिसमें दोनों दलों से दावेदार अपना-अपना मजबूत दावा प्रस्तुत कर टिकट पाने की जुगत में लग गए हैं।
भाजपा यदि सांसद प्रहलाद पटैल को पुन: मैदान में उतारती है तो कांग्रेस भी इसी रणनीति के तहत दबंग लोधी प्रत्याशी का नया चेहरा तलाशने में जुटी हुई नजर आ रही है। हालांकि जाति से जाति टकराने के मामले में कांग्रेस को विधानसभा में असफलता मिली है, लेकिन इसी फार्मूले पर कांग्रेस एक बार फिर से रणनीति बना रही है।
बुंदेलखंड में जातिय गणित के आधार पर राजनीति में लोधी वोट बैंक अहम भूमिका में नजर आ रहा है। जातिय समीकरणों की लड़ाई में जहां एक ही जाति के उम्मीदवार सामने आए हैं, उसमें भाजपा को विजय श्री हासिल हुई है।
जबेरा विधानसभा में लोधी जाति के कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह लोधी के मुकाबले भाजपा ने धर्मेंद्र सिंह लोधी को मैदान में उतारा और मैदान मार लिया। इधर कांग्रेस ने पथरिया विधानसभा में कुर्मी जाति के भाजपा विधायक लखन पटैल के विरुद्ध गौरव पटैल को मैदान में उतारा, लेकिन यहां से बागी डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया जो कुर्मी समाज के है, इनके मैदान में आने से सभी गणित बिगाड़ दिए। यहां लोधी समाज के बृजेंद्र राव भी कांग्रेस से बगावत कर मैदान में आ गए, जिससे कांग्रेस की यहां चौथी पोजीशन रही है और जीत बसपा की रामबाई परिहार के हाथ लगी।
हालांकि कांग्रेस लोधी के मुकाबले कुर्मी को उतारने पर भी मंथन कर रही है, लेकिन इस फार्मूले पर 2014 के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी थी। सांसद प्रहलाद पटेल ने करीब दो लाख से अधिक मतों से विजय पताका हासिल की थी।
दमोह लोकसभा की आठ विधानसभा सीटों पर निगाह डाली जाए, तो वर्तमान में चार विधानसभा में लोधी जाति के विधायक हैं। जिनमें जबेरा से धर्मेंद्र सिंह लोधी भाजपा, दमोह से राहुल सिंह लोधी कांग्रेस, बड़ा मलेहरा से प्रदुम्मन सिंह लोधी कांग्रेस, बंडा से तरबर सिंह कांग्रेस शामिल हैं। वहीं देवरी विधानसभा में यादव जाति के हर्ष यादव कांगे्रस, गढ़ाकोटा में ब्राह्मण जाति के गोपाल भार्गव भाजपा, ठाकुर जाति से रामबाई परिहार पथरिया बसपा, कोरी समाज से पीएल तंतुवाय हटा भाजपा शामिल हैं। आठ विधानसभाओं में दलीय स्थिति पर नजर डालें तो 4 विधानसभा कांग्रेस के कब्जे में है और तीन पर भाजपा का कब्जा है, एक पर बसपा की विधायक काबिज हैं।
यहां कांग्रेस जातिय गणित के आधार पर चार विधानसभाओं में कांग्रेस का कब्जा मानकर अपनी लोकसभा की रणनीति बना रही है। हालांकि कांग्रेस की रणनीति में युवा व पुरुष प्रत्याशियों पर जोर दिया जा रहा है। क्योंकि दमोह लोकसभा तीन जिलो में समाहित है, जिनमें दमोह की चार, सागर की तीन व छतरपुर की एक विधानसभा शामिल है। इसलिए कांग्रेस जिसे भी लोकसभा में टिकट देगी। उसकी पकड़ तीनों जिलों की आठों विधानसभाओं में होना आवश्यक है। कांग्रेस के पास केवल एक ही चेहरा पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ऐसा है, जिनकी पकड़ तीनों जिलों की विधानसभाओं में है, लेकिन कांग्रेस इन्हें टिकट देने से परहेज कर सकती है, क्योंकि ब्राह्मण वोट बैंक लोधी, कुर्मी के मुकाबले पर तीसरे नंबर पर है। आखिर में कांग्रेस अपना प्रत्याशी लोधी या कुर्मी जाति से ही घोषित कर सकती है, जिसमें दोनों समाज से नया और युवा चेहरा हो सकता है। हालांकि कांग्रेस आखिरी दाव भाजपा के बागी डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया पर भी खेलने की तैयारी में है। कुसमरिया की मुलाकात कमलनाथ से भी हो चुकी है, जिससे मौजूदा सांसद प्रहलाद पटेल यदि अपना क्षेत्र नहीं बदलते हैं और दमोह लोकसभा से ही भाजपा मैदान में उतारती है तो कांग्रेस कुसमरिया को टिकट देकर मैदान में उतार सकती है। हालांकि भाजपा में अभी प्रहलाद पटैल की टिकट पक्की नहीं मानी जा रही है, क्योंकि उनकी टिकट कटवाने के लिए यहां के भाजपाई लामबंद हो रहे हैं, जिससे भाजपाई स्थानीयता की मांग के आधार पर कई नेताओं के नाम लोकसभा टिकट के लिए आगे बढ़ाने की रूपरेखा में जुटे हुए हैं।
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