नौरादेही अभयारण्य में बढ़ रहा तेंदुआ का कुनबा
अभयारण्य में बढ़ रहे वन्य प्राणियों
दमोह
Published: May 17, 2022 09:27:37 pm
तेंदूखेड़ा. नौरादेही अभयारण्य में बाघों के अलावा तेंदुआ, भेडिय़ा, चिंकारा व चीतल की संख्या में इजाफा हो रहा है। यहां घने जंगल, नदियां, पोखर वन्य प्राणियों को स्वच्छंद विचरण के लिए पसंदीदा प्राकृतिक आवास बनता जा रहा है। 1975 से स्थापित नौरादेही अभयारण्य में दो बाघ के बाद वर्तमान में 10 बाघों की संख्या ने नई उम्मीद जगा दी है। यहां पर हजारों वन्य जीवों की संख्या बढऩे के साथ ही चीता प्रोजेक्ट पर तैयारी चल रही है। इसके अलावा नौरादेही अभयारण्य में तेंदुआ की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बाघों के पहले से जंगल में रहने वाले इस जंगली जीवों की संख्या वृद्धि हो गई है। 30 से अधिक तेंदुआ यहां की गुफाओं व पेड़ों की डालियों पर दिख रहे हैं।
अभयारण्य के अंतर्गत आने वाली रेंजों में भारी भरकम पेड़ लगे हुए हैं। नौरादेही के विस्थापित गांव में बड़ी-बड़ी गुफा बनी है। यही गुफा और पेड़ तेंदुओं का मुख्य निवास स्थल है। तेंदुआ एक ऐसा वन्य प्राणी है, जो पेड़ों पर भी रह लेता है। इसलिए नौरादेही अभयारण्य में तेंदुआ का अभी तक कोई स्पष्ट ठिकाना नहीं है कि वह कब कहा रहता है अधिकारियों की मानें तो तेंदुआ अधिकांश समय गुफा में रहता है। साथ ही पेड़ों की डालियों पर भी अपना बसेरा बना लेता है, वर्तमान में नौरादेही अभयारण्य में 10 बाघों की मौजूदगी के साथ यहां पर 30 से अधिक तेंदुआ अपना बसेरा बनाए हुए हैं। अभयारण्य में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है। पिछले एक दशक में इसकी संख्या लगभग दोगुनी हो गई है जहां वर्ष 2010-2011में 10 से 12 तेंदुआ ही नौरादेही अभयारण्य में दिखाई देते थे।
नौरादेही अभयारण्य में बाघ बाघिन और उनके शावकों की निगरानी के लिए ट्रैकर कैमरे लगाए गए हैं। हर 15 दिन में इनके फुटेज देखे जाते हैं। अभयारण्य में तेंदुआ अलग-अलग जगह कई बार देखे गए हैं। इनके पगमार्क भी मिले हैं, वहीं नौरादेही अभयारण्य के एसडीओ सेवाराम मलिक ने बताया कि अभयारण्य क्षेत्र में वन्यजीवों की, लगातार संख्या बढ़ती हुई देखी गई है। जिसमें भेडिय़ा नीलगाय चिंकारा चीतल सांंभर हिरण सहित अन्य जानवरों की भी संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है तो इसी तरह भेडिय़ों की संख्या में सबसे ज्यादा बताई जाती है, ऐसा माना जाता है कि प्राकृतिक और भौगोलिक कारणों से भेडिय़ों का प्राकृतिक आवास है। एक समय था, जब इस इलाके में भेडिय़ों की सबसे बड़ी संख्या मौजूद थी। इसी कारण अभयारण्य को भेडिय़ों का आवास का दर्जा दिया गया है
बाघों से डरता है तेंदुआ
अभयारण्य में तेंदुओं की संख्या दो दर्जन से भी ज्यादा है, साथ ही अन्य प्रकार के सैंकड़ों प्रजाति के वन्य प्राणी हैं, वहीं 4 शावकों को मिला 10 बाघों का बसेरा है। नौरादेही अभयारण्य जो इस समय अभयारण्य में घूम रहे हैं। वहीं दो दर्जन से अधिक तेंदुआ है फिर भी वह बाघों का सामना कर करते अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ बाघों से बहुत डरता है। इसलिए जिस जगह पर बाघ होता है। तेंदुआ उससे काफी दूरी पर रहते हैं, यह कभी आमने सामने नहीं आते यदि बाघ तेंदुए को दिख जाता है तो वह उस स्थान से दूर चला जाता है।
छोटे वन्य प्राणी करते हैं शिकार
नौरादेही मे तेंदुआ अपने परिवार के साथ बसे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि यहां उनके बच्चे भी कई बार अपने माता-पिता के साथ देखे गए हैं। तेंदुआ सबसे ज्यादा शिकार चीतल का करता है। इसके अलावा मवेशियों के छोटे बच्चों का शिकार भी उसे पसंद है। अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ बड़े जानवर या मवेशियों का शिकार नहीं कर पाता इसलिए वह हमेशा अपने शिकार के लिए छोटे जानवरों को खोजता है। शिकार करने के बाद भोजन को लेकर वह पेड़ पर चढ़ जाता है या फिर गुफा में घुस जाता है।
जहां बाघ कम वहां तेंदुओं को अनुकूल माहौल
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. बसंत मिश्रा बताते हैं कि नौरादेही अभयारण्य में वन्य जीवों खासकर बाघ चीते व तेंदुए के लिए अनुकूल माहौल और पर्याप्त आहार पानी है। इस अभयारण्य में तेंदुओं की बसाहट बाघ के पहले की है। इसकी वजह ये है कि जहां बाघ नहीं होते या फिर कम है। वह स्थान तेंदुओं के लिए सुरक्षित है। अभयारण्य में अच्छी खासी संख्या में तेंदुआ है।

Leopard clan growing in Nauradehi Sanctuary
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
