scriptLive : न देखी होगी ऐसी डायन देखें तस्वीरों में… | Patrika News
दमोह

Live : न देखी होगी ऐसी डायन देखें तस्वीरों में…

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6 years ago
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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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दमोह. भोजपुरी साहित्य अकादमी, कला संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुर स्मृति तीन दिवसीय नाट्य समारोह मंगलवार से आरंभ हुआ। बोलियों के समकालीन रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिए नाट्य संस्था युवा नाट्य मंच व स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मानस भवन अंबेडकर चौक पर आयोजित इस समारोह में पहले दिन भोपाल के माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी द्वारा निजाम पटैल द्वारा निर्देशित नाटक डायन का मंचन किया गया। महाश्वेता देवी द्वारा रचित कहानी पर आधारित नाटक डायन सामाजिक कुरुतियों सहित आदिवासी संस्कृति में फैली कुप्रथा पर चोट करती है। कहानी आदिवासी संस्कृति की प्रथाओं और परंपराओं से होकर वर्तमान समाज में नारी के विभिन्न पहलुओं और परेशानियों को बखूबी समझाती है। नाटक की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो मुक्तिधाम में मृत बच्चों को दफनाने का कार्य करता है, और यही उसकी जीवकोपार्जन का साधन है। इस कार्य में उसकी खूबसूरत बेटी चंडी भी उसी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाती हंै। उसकी खूबसूरती के चलते उसकी शादी ग्राम के सरपंच से हो जाती है, लेकिन शादी के बाद भी वह अपने पिता का कार्य नहीं छोड़ती और उनके कार्य में सहयोग करती रहती है। जिसके चलते ग्राम के लोग उसके विरोधी होते हुए उसे यह कार्य करने के लिए मना करते है। कहानी में मोड़ तब आता है, जब अज्ञात बीमारी के चलते ग्राम के बच्चे बीमार होकर काल के गाल में समाना शुरु हो जाते हंै। बच्चों की मौत के बाद लोग इस बात का करण चंडी को बताते हैं, जिसके बाद उसका पति भी उसे छोड़ कर दूसरी महिला दंतूली से शादी कर लेता है। पति के छोडऩे के बाद खुद को डायन मानकर अपने मायके के लोगों के साथ श्मसान में रह रही। चंडी का बेटा जब बढ़ा होता है, तो उसे चंडी के उसकी मां होने का पता चलता है। अपनी मां के प्रेमवश वह चंडी से मिलने श्मसान जाता हैं। बच्चे को देखकर चंडी खुश तो होती है, लेकिन उसके अंदर डायन होने का भ्रम उसे डराता है, कि कहीं उसके बच्चे को कुछ हो न जाए। उसकी चिंता में खुद को डायन मान रही चंडी बच्चे को रात में ही घर वापस छोडऩे जाती है। इसी दौरान चंडी देखती है कि कुछ लोग ट्रेन की पटरियां तोड़कर ट्रेेन रोकने का योजना बना रहे होते है। उन्हें रोकने के लिए चंडी डायन बनकर उन्हें डराती है। जिससे वह भाग जाते हैं, लेकिन इस प्रयास में चंडी की मौत रेल से कटकर हो जाती है। सभी को बचाकर डायन कहलाने वाली चंडी अपनी महिला शक्ति को दिखाती है, जो इस नाटक का प्रयास है। निर्देशक का निर्देशकीय पक्ष बेहतर है, और कलाकारों ने भी अपने अभिनय से निर्देशक के प्रयास को सार्थक बनाया है। चंडी के पात्र में सावी भंडारी, पति मलिंदर के पात्र में जावेद सिकंदर ने प्रभावी अभिनय किया है। चंडी के पिता बेटे के पात्र में मनोज रावत व दानिश खान रहे है। जो मंच पर अपने अभिनय से पात्र को जीवंत कर रहे थे। दंतुली का पात्र भारती मजूमदार, सरपंच साईबुद्दीन का अभिनय लोगों को लुभा रहा था। मेकअप सराफुल, रोशनी समायोजन तामाजी राव व संगीत में अनिल संसारे, लक्ष्मी नारायण ओसाले ने अपना कार्य में बेहतर नजर आए। समारोह के दूसरे दिन बुधवार को इलाहबाद के विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के द्वारा अत्मजीत सिंह द्वारा निर्देशित नाटक आला अफसर का मंचन किया जाएगा।

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