सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र पैदल चल रही शिव की बारात थी, जिसमें शिव की असली बारात का चित्रण किया गया था।
यह बारात जटाशंकर, कीर्ति स्तंभ, को-ऑपरेटिव बैंक चौराहा, स्टेशन चौराहा, घंटाघर होते हुए वापस जटाशंकर पहुंची जहां शिव विवाह का कार्यक्रम हुआ है। इस यात्रा की अगुवाई मोनू पाठक कर रहे थे,
इनके साथ बड़ी के पुजारी पं. आशीष कटारे, जटाशंकर के पुजारी पं. राजऋषि पाठक सहित अन्य मंदिरों के पुजारी सहित भक्तगण शामिल थे।
दोपहर में बढ़ रहीं थीं बारातें बांदकपुर की दमोह से दो बारातें पहली बारात पुराना थाना क्षेत्र व दूसरी बारात तीन गुल्ली क्षेत्र से निकाली गई थी। इन बारातों में नाचते गाते यात्री आगे बढ़ रहे थे।
बम भोले के गीतों पर थिरकते हुए
बाराती बांदकपुर की ओर बढ़ रहे थे।