दूसरे दिन के शाम तक चले बाजार में ग्राहकी में उठाव नजर नहीं आया। लॉकडाउन से भी कम भीड़ बाजार में नजर आई। सामान्य ग्राहकी ही चलती रही।
मिठाई की दुकान भी खुली, लेकिन पहले जैसी ग्राहकी यहां भी नजर नहीं आई। कपड़ों की दुकानों पर भी दूसरे दिन अच्छी ग्राहकी की उम्मीद से दुकानें खोली गईं लेकिन यहां भी दूसरे दिन बाजार खरा नहीं उतरा। आर्थिक कमर टूट चुकी
बाजार के विशलेषकों का मानना है कि भले ही बाजार खुल गया है, लेकिन बाजार में खर्च करने के लिए व्यक्ति के पास रुपया नहीं है। इस समय बाजार में केवल किराना, सब्जी-भाजी की खरीददारी चल रही है। कपड़ा बाजार में पिछले दिनों एक दिन छोड़कर नंबरिंग से खुल रही दुकानों के बाद पूरा बाजार खुलने पर अच्छी ग्राहकी नहीं है। इसके पीछे का कारण है कि निजी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया है। शहर का बाजार मायसेम से भी उठता था, लेकिन यहां के मजदूरों को भुगतान न होने से इस वर्ग ने भी हाथ सिकोड़ लिए हैं।
किसानों से बाजार उठने की उम्मीद अब पूरा बाजार किसानों की खरीददारी से बाजार में उठाव की उम्मीद बांधे हैं। किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य केंद्रों पर जमा करते जा रहे हैं।
अब उनके खातों में राशि आने वाली है, जिससे शहर का बाजार उम्मीद कर रहा है कि मंदी में डूबे बाजार को उठाने किसान ही उनकी दुकानों पर पहुंचेगा।