बसों के ड्राइवर नियमित चना डालते थे। लॉक डाउन की वजह से बंदर भूख प्यास से व्याकुल हो रहे हैं। इन्हें भोजन कराने लोग लगातार जा रहे हैं। बुधवार को दमोह शहर के दो युवा राकेश दुबे व मुकेश गुप्ता सिंग्रामपुर बंदरों को भोजन पानी उपलब्ध कराने पहुंचे।
दो क्विंटल सब्जियों में टमाटर, लौकी, ककड़ी व फलों में अंगूर शामिल थे। इन दोनों युवाओं ने जबेरा से लेकर सिंग्रामपुर के जिन पाइंटों पर बंदर मिले वहां रुककर उन्हें भोजन कराया।
यह लोग पानी के कुप्पे और बंदरों को पानी पिलाने के लिए बर्तन भी दमोह से साथ ले गए थे। ट्रांसपोर्ट व्यवसायी राकेश दुबे ने बताया कि इस समय सबसे ज्यादा मदद की आवश्यकता मूक वन्य प्राणियों में बंदरों को है।
जो शहरी आबादी के नजदीक सालों से लोगों के द्वारा डाली जा रही भोजन सामग्री पर निर्भर हो चुके हैं। लॉक डाउन में भी वह जंगलों में न जाकर सड़क किनारे वाहनों का इंतजार करते रहते हैं।
इक्का-दुक्का वाहन निकलने पर बंदरों की निगाहें वाहनों पर ही टिक जाती हैं।