लॉकडाउन में रेत, पत्थर का अवैध उत्खनन जोरों पर
दमोहPublished: May 30, 2020 10:58:06 pm
शहर के नजदीक औद्योगिक क्षेत्रों में खोद दिया पहाड़
Mountains dug in industrial areas near the city
दमोह. लॉकडाउन में सीमाएं सील थीं, वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध था, लेकिन सन्नाटे का फायदा उठाते हुए रेत माफिया व पत्थर माफिया नदियों, जंगलों व राजस्व सीमा में बुल्डोजर चलवाता रहा है। पूरे लॉक डाउन भर रेत व पत्थर के अवैध भंडारण जारी रहा। वहीं छतरपुर जिले के गुलगंज, कटनी की महानदी व नरसिंहपुर में सख्ती के बाद भी रेत के डंपर दमोह तक पहुंचते रहे और यह सिलसिला रात के अंधेरे में जारी रहा है।
दमोह जिले से व्यारमा, सुनार, कोपरा और बराना नदी निकली है। जिसमें सुनार, व्यारमा और बराना नदी की रेत निर्माण कार्यों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। दमोह जिले में रेत का ठेका हो चुका है, लेकिन ठेकेदार द्वारा घाटों पर पांव जमाने से पहले दमोह जिले में रेत का अवैध कारोबार जोरों पर चल रहा है। छतरपुर, नरसिंहपुर व कटनी जिले के डंपरों से रेत दमोह में आ रही है। बताया जा रहा है कि साजली, सीतानगर, व सतधरू परियोजना में बगैर रायल्टी की रेत पहुंचाई जा रही है। वहीं मनरेगा के तहत चल रहे कार्यों में बगैर रायल्टी की रेत का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
रेत का किया गया स्टॉक
पहले लॉकडाउन में सीमाएं सील थीं, मालवाहक वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा था, लेकिन दमोह जिले में सीमाएं सील होने के बावजूद रात के अंधेरे में दूसरे जिले से रेत लाने वाले डंपरों के लिए पुलिस के बैरीकेट्स खुलते रहे हैं, जिससे लगातार स्टॉक भी होता रहा है। रेत का अवैध परिवहन प्रश्रय देने के मामले में संबंधित क्षेत्र के पुलिस थानों की मिली भगत बताई जा रही है।
हिंडोरिया किला खदान में अवैध उत्खन
जिले में चीप पत्थर निकलता है, जिसके लिए हिंडोरिया की किला खदान है, लेकिन यहां लीज की जगह के अलावा दूसरे स्थानों पर अवैध उत्खनन किया जाता है। लॉकडाउन का फायदा उठाकर लीज के स्थान छोड़कर दूसरी जगह पत्थर का अवैध उत्खनन कर अवैध भंडारण किया गया है।
वन भूमि में चलता रहा उत्खनन
दमोह जिले में वन परिक्षेत्र मडिय़ादो, नोहटा, जबेरा क्षेत्र में अच्छा पत्थर पाया जाता है। निर्माण कार्यों के लिए वन भूमि से पत्थर निकालने का सिलसिला भी चलता रहा। यहां से निकले पत्थर को क्रेशरों में सप्लाई किया गया है। दमोह जिले में सड़कों के निर्माण में वन भूमि के पत्थर खफाया गया है। जिसकी गिट्टी से सड़कों के निर्माण कार्य जारी है।