दमोहPublished: Nov 18, 2019 12:27:37 am
Sanket Shrivastava
नोहटा श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन
Nohta The sixth day of Srimad Bhagwat Katha
नोहटा. जो भक्त कृष्ण-रुकमणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं, उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के गुणों व उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुकमणी ने मन ही मन निश्चित किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति रूप में वरण नहीं करेगी।
श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा वाचक पं. दिवाकर शास्त्री महाराज ने रुकमणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए यह बात कही। भगवान श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता चल चुका था, विदर्भ नरेश भीष्म की पुत्री रुकमणी परम रूपवती व परम सुलक्षणा है। भीष्म का बड़ा पुत्र रुकमणी भगवान श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था। बहन रुकमणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। शिशुपाल भगवान कृष्ण से द्वेष रखता था।
रुकमणी को जब इस बात का पता लगते ही अपना निश्चय प्रकट करने के लिए एक ब्राहृाण को द्वारिका श्रीकृष्ण के पास भेजा व संदेश दिया है। नंद-नंदन आपको ही पति रूप में वरण किया है। मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती।
इसके बाद विवाह प्रसंग के साथ विवाह की सभी रस्में निभाई गई। इस दौरान भक्तों ने पैर पुजाई की रस्म के दौरान रुकमणी को उपहार स्वरूप नकदी, बर्तन, कपड़े, आभूषण भेंट किए। कथा के मुख्य श्रोता नारायण सोनी, रमा सोनी, भूपेश सोनी, राजेश व कमलेश हैं।