दलितों के यहां देवी प्रतिमा स्थापित कराने नहीं पहुंचे पंडित तो महिला थाना प्रभारी बनीं पुरोहित महिला आरक्षकों ने निभाई सहायक की भूमिका
दमोह. ग्रामीण क्षेत्रों में छुआछूत, बैर-भाव का दंश अब भी बरकरार है, बुंदेलखंड क्षेत्र के पटेरा ब्लॉक के
कोटा गांव में नवरात्र की परमा को ऐसा ही मामला सामने आया है। मुर्हूत बीता जा रहा था, कोटा गांव में दलित बस्ती में मां दुर्गा की प्रतिमा व घट स्थापना की जानी थी। इस दौरान आसपास के पंडितों को बुलवाया गया, लेकिन एक भी पंडित नहीं पहुंचा। पटेरा थाना शिकायत दर्ज कराई गई। थाना प्रभारी मौके पहुंची और मुर्हूत बीत रहा तो स्वयं ही पुरोहित बनकर मंत्रोच्चार करने लगीं।
मामला यह है कि कोटा गांव में दलित बस्ती में मां दुर्गा की प्रतिमा पंडाल में रखी गई है, परमा के दिन घट स्थापना के साथ ही प्रतिमा की स्थापना की जानी थी। सुबह से देर शाम तो गांव व आसपास के पंडितों को दलित बस्ती के लोग पूजा पाठ कराने के लिए बुलाते रहे, लेकिन एक भी पंडित नहीं पहुंचा। इसके बाद यहां के लोगों ने पटेरा थाना शिकायत दर्ज कराई। थाना प्रभारी अंजली उदैनिया, महिला आरक्षकों को लेकर तत्काल मौके पर पहुंची। उन्होंने भी पंडितों से संपर्क साधा लेकिन सभी दूसरे गांव में पूजन पाठ में व्यस्तता बता रहे थे। काफी देर इंतजार करने के बाद घट स्थापना व प्रतिमा स्थापना का मुर्हूत बीता जा रहा था। जिसके बाद थाना प्रभारी व आरक्षकों ने अच्छी पुलिसिंग का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए स्वयं पूजन पाठ करने लगी। उन्होंने विधि विधान से घट स्थापित कराया।
कोटा दलित बस्ती के बलराम अहिरवार ने बताया कि परमा के दिन घट स्थापना के लिए पूर्व परंपरा के अनुसार पंडित से स्थापना करानी थी। गांव के पंडितों से बात की तो उन्होंने स्पष्ट इंकार कर दिया। इससे पहले पंडित द्वारा ही पूजन पाठ कराया जाता था, लेकिन इस बार छुआ-छूत के साथ बैर-भाव मानते हुए सभी पंडित एक मत हो गए और उन्होंने स्पष्ट इंकार कर दिया था। अब उनके सामने धर्म संकट था, लेकिन छूआ-छूत को दूर भगाते हुए ब्राह्मण कुल की बेटी ने न केवल अपना ब्राह्मण धर्म निभाया है, बल्कि हम दलितों के मन श्रेष्ठ पुलिसिंग का प्रमाण प्रस्तुत किया है, जिससे उनके इस कार्य की पूरे दलित समाज में सराहना की जा रही है। इसके साथ ही महिला आरक्षकों ने पंडित के सहायकों की भूमिका निभाते हुए मां जगत जननी की स्थापना कराई है। दूसरे दिन भी रात्रि में अंजली उदैनिया शाम की पूजा अर्चना व आरती कराने शनिवार की रात्रि 8.३० बजे कोटा गांव पहुंची चुकी थीं।
वर्जन
कोटा गांव में नवरात्र के परमा के दिन दलित बस्ती में दुर्गा पंडाल में पूजन पाठ के लिए कोई भी आचार्य व पंडित नहीं पहुंचे थे, जब मैं पहुंची तो पता लगाया तो सभी गांव से बाहर होने की जानकारी दे रहे थे। मुर्हूत बीता जा रहा था जिससे मैंने मां जगत जननी की घट स्थापना व प्रतिमा स्थापना विधि विधान से कराई है। दूसरे दिन आरती कराने भी में कोटा गांव पहुंची हूं।
अंजली उदैनिया, थाना प्रभारी पटेरा
छुआ-छूत, अस्पृश्यता, पुलिस, वर्दी की सहृदयता, दमोह, मध्य प्रदेश, इंडिया