दमोह

नदी नाले किनारे गांव बारिश में बन जाते हैं टापू

कैद हो जाते हैं पानी के ऊफान में

दमोहJun 19, 2019 / 10:09 pm

Rajesh Kumar Pandey

River Valley are along the village became rain island

बनवार. व्यारमा नदी की सहायक नदियों और नालों के साथ व्यारमा नदी का बारिश का पानी कुछ गांवों को चारों ओर से घेरकर टापू बना देता है। जिससे इन गांवों में रहने वाले लोग बाढ़ से कैद हो जाते हैं, हफ्तों तक इलाज, स्कूल से महरूम रहते हैं।
जनदप जबेरा में दर्जनों गांव ऐसे हैं, जो नदी नालों के कारण बारिश में घिर जाते हैं। ग्राम पंचायत मनगुवां का छपरवाह गांव शून्य नदी व जंगली नाले में बाढ़ के चलते टापू बन जाता है। मनगुवां से मौसीपुरा तक का मार्ग डाउन लेबल होने के कारण जरा सी बारिश में बाढ़ का रूप ले लेता है। इसी तरह ग्राम पंचायत सिमरी जालम का गांव लखनी जो शून्य व धुनगी नदी के बीच बसा हुआ है, यह भी बाढ़ के कारण घेरे में आ जाता है। जिससे लखनी गांव के लोग घरों में कैद हो जाते हैं। व्यारमा नदी के तट पर बसे गांव लल्लूपुरा में व्यारमा नदी के बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाता है। इनकी परेशानियों उस दौरान बढ़ जाती हैं जब सड़क मार्ग पर धनसरा व लल्लूपुरा रास्ते पर स्थित जंगली नाला उफना उठता है, जिसे यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है। शून्य नदी के किनारे बसे कछवारा गांव के भी यही हालात बनते हैं। घाट बम्होरी गांव की कहानी भी लल्लूपुरा गांव की तरह है, व्यारमा उफनाई तो सड़क मार्ग पर जंगली नाला भी राह में बाधक बन कर इस गांव को भी चारों ओर से अपने घेरे में ले लेता है। ग्रामीण त्रिलोक सिंह बताते हैं कि जिले में केवल 2005 में बाढ़ के दौरान गांव टापू बने थे, जिसमें लल्लूपुरा गांव व घाट बम्हौरी गांव खाली कराकर ग्रामीणों को कैंप में शरण दी गई थी। इसके बाद अब तक स्थिति नहीं बनी है, लेकिन हर बार बारिश आते ही 2005 की बाढ़ की यादें ताजा हो जाती हैं।
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