राज्य सूचना आयोग में ऐसा एक मामला सामने आया, जिसमें सूचना आयुक्त ने 24 सितंबर 2021 को जानकारी देने का आदेश दिया, लेकिन छह माह बाद फिर मामला आयोग में पहुंच गया। सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने संबंधित अधिकारी से पूछा तो उन्होंने कहा दस्तावेज बेरों में भरे हैं। आवेदक को उपलब्ध करा देंगे। इस पर सूचना आयुक्त ने सत लहजे में आदेश दिया कि जानकारी उपलब्ध कराई जाए, यही नहीं आयुक्त ने अफसर पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
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आदेश के बाद भी जानकारी न देने पर तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी रामकुमार अहिरवार आवेदक का संतुष्टि प्रमाण पत्र लेकर पहुंचे थे। कहा गया था कि वे जानकारी उपलब्ध करा देंगे। इस पर सूचना आयुक्त तिवारी ने कहा कि महीनों विलंब से प्राप्त ऐसे संतुष्टि प्रमाण लोक सूचना अधिकारी के बचाव का विधिक आधार नहीं हैं। दस्तावेज अब तक बोरों में ही भरे हैं।
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आवेदन से लेकर आयोग के आदेश होने तक रामकुमार अहिरवार लोक सूचना अधिकारी थे। जब आदेश का भी पालन नहीं हुआ तो अपीलार्थी लक्ष्मण ने फिर से शिकायत की। सुनवाई होने तक लोक सूचना अधिकारी बदल गए। वर्तमान लोक सूचना अधिकारी केशव साहू ने आयोग के समक्ष कहा कि रामकुमार अहिरवार ने उन्हें पंचायत के कोई दस्तावेज नहीं सौंपे हैं। अहिरवार ने कहाकि सारे दस्तावेज बोरों में भरे हैं।