scriptसाढ़े 12 लाख की आबादी के लिए महज 651 बिस्तर | Rural is not bereft of government treatment | Patrika News

साढ़े 12 लाख की आबादी के लिए महज 651 बिस्तर

locationदमोहPublished: Aug 22, 2019 10:07:16 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

सरकारी इलाज से महरूम है ग्रामीण

Rural is not bereft of government treatment

Rural is not bereft of government treatment

दमोह. सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज न मिलने के पीछे सरकारी डॉक्टरों की कमी बताई जाती है, लेकिन जिले भर में एक कमी और है, वह है सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों कमी। जिले में सरकारी इलाज के नाम पर महज ६५१ बिस्तर ही उपलब्ध हैं। इन सब कारणों के कारण लोगों को झोलाछापों या निजी क्लिीनिकों व अस्पतालों के बिस्तरों पर भर्ती होकर इलाज कराने निर्भर होना पड़ता है।
जिले की कुल आबादी 12 लाख 64 हजार 219 आबादी हैं। इस आबादी के इलाज के लिए एक जिला अस्पताल दमोह, एक सिविल अस्पताल हटा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 6 हिंडोरिया, पटेरा, पथरिया, बटियागढ़, जबेरा और तेंदूखेड़ा हैं। जिले में 15 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। साथ ही 192 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। आयुष भी काम कर रहा है, जिसके दो अस्पताल केवल पंचकर्म के लिए दमोह में स्थित हैं, जहां केवल दिन में ही भर्ती की व्यवस्था की जाती है। जिले में प्रथम श्रेणी के डॉक्टर 13 पदस्थ हैं, द्वितीय श्रेणी के 38 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं। जिले का एक मात्र जिला अस्पताल है, जहां 300 बिस्तर मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध हैं, इन बिस्तरों पर जिले के अलावा छतरपुर जिले के बक्स्वाहा व पन्ना जिले के सिमरिया क्षेत्र के मरीजों का भी पड़ता है।
जरा सी हालत खराब होने पर रेफर
सरकारी इलाज की सुविधाएं अभी भी ग्रामीण स्तर पर ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं। जिले के हटा सिविल अस्पताल सहित 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सामान्य व मौसमी बीमारियों का इलाज ही बिस्तर पर किया जाता है। इन केंद्रों से जरा सी हालत बिगडऩे पर जिला अस्पताल या मेडिकल की रेफर पर्ची लिख दी जाती हैं। इन अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार डॉक्टर, नर्स व वार्ड बॉय उपलब्ध नहीं है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बने प्रसव पाइंट
जिले में 15 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हैं, जहां प्रत्येक केंद्र पर 5 बिस्तर उपलब्ध हैं, यह बिस्तर अन्य बीमारियों के इलाज के लिए उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि इनके संचालन के लिए डॉक्टरों की कमी हैं, जिसके कारण इन बिस्तरों का उपयोग केवल सामान्य प्रसव के लिए किया जा रहा है, जरा भी समस्या होने पर सीधे जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
टीकाकरण केंद्र बने उपस्वास्थ्य केंद्र
जिले में 192 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां सामान्य बीमारियों की दवाईयां उपलब्ध होती हैं, लेकिन जिले के अधिकांश उपस्वास्थ्य केंद्र टीकाकरण केंद्र बन कर रह गए हैं, कुछ ही केंद्र हैं जो नियमित खुलते हैं। या इन केंद्रों को जब खोला जाता है जब कोई शासकीय कार्यक्रम व योजना के तहत जागरुक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि जिले के सभी उप स्वास्थ्य केंद्र पोलियो टीकाकरण के दिन ही पूरे दिन खुलते हैं। शेष दिनों में घंटे दो घंटे के लिए खोलकर इनकी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं। दमोह ब्लॉक के खजरी गांव का उपस्वास्थ्य केंद्र गुरुवार को बंद था, ग्रामीणों का कहना है कि यह केंद्र टीकाकरण के दिन ही खुलता है।
एक अनार सौ बीमार
बटियागढ़. बटियागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गुरुवार को सुबह 11 बजे जब पत्रिका ने जायजा लिया तो वह कहावत मानस पटल पर आ गई, जिसमें एक अनार सौ बीमार। यहां एक डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद थे, जिससे लंबी कतारें लगी हुई थीं। मौसम के बदलते रुख की वजह से ग्रामीणों में सर्दी, खांसी के साथ तेज मौसमी बुखार बढ़ रहा था। सुबह से आए मरीज परषोत्तम पटेल, रज्जाव खान, ऊषा बाई ने बताया कि हममें से किसी न किसी को तेज बुखार, सर्दी,खांसी, जुकाम सहित छोटी बड़ी बीमारी हैं। सुबह से अस्पताल इलाज कराने आए हैं, हमसे पहले भी लंबी लाइन लगी थी। जब तक डॉक्टर बैठेंगे, तब तक इलाज संभव है, यदि उनका ड्यूटी का वक्त समाप्त हो जाएग तो फिर निजी क्लीनिक या बटियागढ़ में झोलाछाप के इलाज कराने विवश होना पड़ेगा। इन ग्रामीणों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कम से कम एक डॉक्टर मिल जाता है, लेकिन उनके गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी डॉक्टर नहीं हैं, नर्स और वार्ड बॉय से गोली लेते हैं, ठीक नहीं होने पर ब्लॉक या जिला स्तर पर ही इलाज के लिए जाना पड़ता है। ब्लॉक मेडिकल ऑफीसर आरआर बागरी का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 डॉक्टर के पद रिक्त पड़े हैं। डॉक्टरों की कमी के कारण सभी मरीजों को इलाज उपलब्ध नहीं करा पाते हैं।
तीन महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण
बम्होरीमाला. गांव में स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र का जायजा गुरुवार की दोपहर 2 बजे जायजा लिया तो यहां की एएनएम आंगनबाड़ी केंद्र में महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही थीं। इसके बाद हल्लीबाई के घर हाल ही में जन्में शिशु का स्वास्थ्य परीक्षण करने पहुंची। इसके बाद वापस स्वास्थ्य केंद्र आईं तो बुखार से पीडि़त तीन महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उन्हें दवाईंयां वितरित की गईं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो