विदित हो कि कार्यक्रम का आयोजन सुबह करीब 9 बजे से शुरु हो गया था जिसका शाम 4 बजे के बाद समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख जिम्मेदारी निभा रहे डॉ. रियाज कुरैशी ने बताया कि जिले भर से करीब 300 बच्चों का प्रतियोगिता में शामिल रहने के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया था। प्रतियोगिता में 50, 100 मीटर दौड़, गोला फेंक व एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं हुईं। इसके अलावा सांस्कृतिक में रंगौली, मेहंदी, नृत्य, गान का आयोजन हुआ था।
खेल विभाग के मार्गदर्शन में हुईं प्रतियोगिताएं
एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं का आयोजन खेल विभाग के कर्मचारियों के मार्गदर्शन में हुआ था। गिट्टी युक्त ट्रेक पर दिव्यांगों को दौड़ाने को लेकर जब खेल विभाग के कर्मचारी शैलेंद्र चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि स्थल का चयन आयोजन समिति द्वारा किया गया है। खेल विभाग द्वारा सिर्फ प्रतियोगिताएं कराईं जा रहीं हैं। वहीं मौके पर करीब ५० से अधिक कर्मचारी ड्यूटी कर थे। इनमें शिक्षा विभाग के बीआरसी, शिक्षक भी शामिल थे। कार्यक्रम में जिला प्रशासन के आलाधिकारी भी पहुंचे थे। लेकिन किसी ने भी दिव्यांगों की परेशानी को नहीं समझा।
कार्यक्रम के दौरान एक और वाक्या दिव्यांग छात्रा से निजी कार्य कराने का भी सामने आया। बटियागढ़ बीआरसी कार्यालय में पदस्थ एक महिला कर्मचारी के साथ करीब तीन वर्ष का एक बालक था। कार्यक्रम के दौरान बालक की देख रेख करने की जिम्मेदारी एक दिव्यांग छात्रा को सौंपी गई थी और इस कारण कार्यक्रम में शामिल हुई दिव्यांग छात्रा कहीं आ जा नहीं पा रही थी। जहां भी छात्रा जाती तो उसे बालक को गोद में लेकर जाना पड़ रहा था।
मैडम के थेले में भरे थे नाश्ता के पैकट, लेकिन बच्चे भूखे
समन्ना बाइपास पर स्थित दिव्यांग छात्रावास के बच्चे भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। बच्चों के साथ एक महिला शिक्षिका भी मौजूद थी। देखा गया कि शिक्षिका के हाथ में जो थैला था उसमें नाश्ता के पैकट भरे थे। लेकिन जो बच्चे लेकर वह कार्यक्रम में आईं थीं वह बच्चे भूखे थे। इन्हीं में से एक छात्र से पत्रिका ने दोपहर 12.25 बजे बात की तो उसने कहा कि अभी नाश्ता नहीं मिला है। जबकि इस दौरान मौजूद सभी कर्मचारियों को नाश्ता करते देखा जा रहा था। छात्र द्वारा कही बात को मौजूदा शिक्षिका ने दबाने का प्रयास किया और छात्र को डांटकर भगा दिया।
पत्रिका आया फोन तो प्रभारी मोबाइल इसे उसे पकड़ाने लगे
बच्चों को गिट्टी से भरे ट्रेक पर दौड़ाने के संबंध में पत्रिका द्वारा कार्यक्रम प्रभारी सामाजिक न्याय विभाग के टीएस विश्नोई से मोबाइल पर बात की। सवाल के जबाव में विश्नोई खुद को बचाते नजर आए। तत्काल ही उन्होंने इसके लिए पहले कार्यक्रम में मौजूद डॉ. रियाज कुरैशी को जिम्मेदार बताया और उन्हें जबाव देने के लिए फोन पकड़ा दिया। रियाज कुरैशी ने कहा कि स्थान चयन के लिए वह जबावदार नहीं है। इस जबाव के बाद विश्नोई ने फोन जिला शिक्षा केंद्र के एपीएस पीएल अहिरवार ने कहा कि अगले साल इस तरह की लापरवाही नहीं होगी। हालांकि कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है। मेरी ड्यूटी यहां लगाई गई थी।