वही इस बारे में जब श्याम माखीजा से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि हल्दी तो 4 साल पहले पिसवाई थी, लेकिन हमारी हल्दी कम हो जाने के कारण हमने उन्हें भुगतान नहीं किया और उन्होंने इसके बारे में हम से कभी क्लेम नहीं किया है। आज आपके द्वारा पता चल रहा है कि उन्होंने मेरे नाम का बोर्ड अपनी दुकान में टांग रखा है। इसी बीच पूर्व व्यापारी संघ के अध्यक्ष मानिकचंद सचदेव भी वहां आप पहुंचे और उन्होंने बताया है क्योंकि यह व्यापारिक विवाद है और इसे आपस में मिल जुल कर निपटा लिया जाएगा। मैं जब व्यापारी संघ का अध्यक्ष रहा लेकिन इस दौरान कभी भी सुरेखा ने मुझसे इस बारे में कभी कहा नहीं अन्यथा मैं इसे तत्काल ही निपटा देता। वही इस बारे में रामनाथ सुरेखा का कहना है कि मैं इस बुढ़ापे में भी मेहनत कर रहा हूं और अपने पैसे मांगने के लिए मैं किसी भिखारी की तरह कहीं यहां-वहां नहीं जा सकता। हमारी मेहनत मजदूरी का पैसा है, जो मेरी क्षमता है, वह मैंने तरीका अपना लिया है मेरा हाल जो भी हों। 65 साल से भी ज्यादा आयु के इस वृद्ध ने जो अनूठा गांधीगिरी का तरीका अपनाया है, उससे उन्हें अपनी बकाया रकम मिले न मिले लेकिन शहर में एक चर्चा का माहौल जरूर बन गया है।