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ajab gajab इस दुकानदार की दो क्विंटल हल्दी की पिसाई खा गए Bhagwan

locationदमोहPublished: Jan 13, 2018 12:05:14 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

मसाला पिसाई के पैसे नहीं दिए तो टांग दिया वसूली का बोर्ड

Shopkeeper's charge on God
दमोह. शहर के बाराद्वारी मार्केट में मसाला व्यापारी राम नाथ सुरेखा की दुकान में एक अजीब बोर्ड लगा है, जिसे पढ़कर और कोई ठिठककर गौर से बोर्ड पढ़ता हुआ नजर आ रहा है। जिस पर लिखा है जय भगवान दो क्विंटल हल्दी की पिसाई का पैसा खा गए।
जी हां ये सच है लेकिन असलियत में हल्दी की पीसने की राशि न देने वाले श्याम माखीजा है, जो जय भगवान के नाम से बाराद्वारी में किराने का थोक व्यापार करते हैं। इस बोर्ड के बारे में जब रामनाथ सुरेका से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लगभग 4 वर्ष पूर्व पास के ही किराना व्यापारी श्याम माखीजा हमारी दुकान पर हल्दी पिसवाने आए थे। हल्दी का कुल वजन 2 क्विंटल था, लेकिन पीसने के बाद हल्दी 7 किलो कम हो गई। सामान्य तौर पर बहुत सारे जिंस ऐसे हैं, जो पीसने के बाद वजन से घट जाते हैं, ऐसा ही हल्दी के साथ भी हुआ, जिस पर जय भगवान नाम की दुकान के संचालक ने कहा कि मेरे पिताजी ने कहा था की हल्दी पीसने पर बढ़ती है, इसलिए आप 7 किलो हल्दी दे दीजिए और अपनी पिसाई का भुगतान ले लीजिए। इसके जवाब में मसाला चक्की के संचालक रामनाथ सुरेका ने कहा कि यदि आप को संदेह है तो आप 10 किलो हल्दी अपने हाथ से हमारी मशीन पर पीस कर देखिए यदि कम होगी, तो आप हमारा भुगतान करना अन्यथा वह तो आप हमसे हल्दी ले सकते हैं। इस बात को 4 साल होने को है, लेकिन मसाला व्यापारी से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने हल्दी का भुगतान नहीं किया, और पिताजी के ही स्लोगन का हवाला देते रहे। जिसका रास्ता मैंने भी निकाल लिया और यह बोर्ड टांग दिया है। जिसका असर यह हो रहा है कि अब हर कोई राह चलता रुकता है और पूछता है कि भई भगवान कैसे हल्दी की पिसाई खा गए। ऐसी वृद्ध अवस्था में भी मैं व्यापार कर रहा हूं और लोग कितने लालची हंै जो मेरे बुढ़ापे पर भी तरस नहीं खाते हैं। बल्कि उल्टा भुगतान ही दबा कर बैठे हुए हैं।
Shopkeepers charge on God
वही इस बारे में जब श्याम माखीजा से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि हल्दी तो 4 साल पहले पिसवाई थी, लेकिन हमारी हल्दी कम हो जाने के कारण हमने उन्हें भुगतान नहीं किया और उन्होंने इसके बारे में हम से कभी क्लेम नहीं किया है। आज आपके द्वारा पता चल रहा है कि उन्होंने मेरे नाम का बोर्ड अपनी दुकान में टांग रखा है। इसी बीच पूर्व व्यापारी संघ के अध्यक्ष मानिकचंद सचदेव भी वहां आप पहुंचे और उन्होंने बताया है क्योंकि यह व्यापारिक विवाद है और इसे आपस में मिल जुल कर निपटा लिया जाएगा। मैं जब व्यापारी संघ का अध्यक्ष रहा लेकिन इस दौरान कभी भी सुरेखा ने मुझसे इस बारे में कभी कहा नहीं अन्यथा मैं इसे तत्काल ही निपटा देता। वही इस बारे में रामनाथ सुरेखा का कहना है कि मैं इस बुढ़ापे में भी मेहनत कर रहा हूं और अपने पैसे मांगने के लिए मैं किसी भिखारी की तरह कहीं यहां-वहां नहीं जा सकता। हमारी मेहनत मजदूरी का पैसा है, जो मेरी क्षमता है, वह मैंने तरीका अपना लिया है मेरा हाल जो भी हों। 65 साल से भी ज्यादा आयु के इस वृद्ध ने जो अनूठा गांधीगिरी का तरीका अपनाया है, उससे उन्हें अपनी बकाया रकम मिले न मिले लेकिन शहर में एक चर्चा का माहौल जरूर बन गया है।

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