script50 दिन की भरपाई करने के जुर्माना भरने भी तैयार दुकानदार | Shopkeepers ready to pay the fine to compensate for 50 days | Patrika News

50 दिन की भरपाई करने के जुर्माना भरने भी तैयार दुकानदार

locationदमोहPublished: Jun 09, 2021 11:47:09 am

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

दाएं-बाएं के निर्णय मंजूर नहीं है दुकानदारों को

Shopkeepers ready to pay the fine to compensate for 50 days

Shopkeepers ready to pay the fine to compensate for 50 days

दमोह. एक दिन दाएं और दूसरे दिन बाएं लाइन की दुकानें खोलने का निर्णय का विरोध अब दुकानदार ही करते नजर आ रहे हैं। हालांकि इन पर जुर्माना भी हो रहा है, लेकिन मंदी से उबरने के लिए जुर्माना झेलकर भी दुकानें खोल रहे हैं।
मंगलवार को दमोह तहसीलदार बबीता राठौर नियमानुसार दुकानें खुली हैं या नहीं अमले के साथ निरीक्षण पर निकली तो दुकानदार दुकानें खोले हुए थे। जहां भी पहुंची वहां पर नियमानुसार मंगलवार को खुलने वाली दुकानें तो खुली ही थीं, लेकिन जो दुकानें सोमवार को खोली गईं थीं वह भी खुली हुई मिली। इन दुकानदारों द्वारा नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी भरा जा रहा है।
बाजार को समझने भूल कर गई समिति
आपदा प्रबंधन समिति द्वारा एक दिन दाएं और एक दिन बाएं लाइन की दुकान खुलवाने के पीछे दमोह के बाजार की नब्ज की जानकारी न होना प्रतीत हो रहा है। क्योंकि दमोह का पूरा बाजार नकदीकरण पर न होकर उधार पर टिका हुआ है। अब जिस ग्राहक का लेनदेन है, वह उसी दुकान पर जाएगा। शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग दमोह बाजार से खरीददारी करते हैं। अब मंगलवार को खरीददारी करने पहुंचा व्यक्ति आया तो उसकी लाइन की दुकान बंद मिली थी। दुकान के बाहर लिखे मोबाइल पर नंबर लगाया दुकानदार भी आसपास था। वह भी आ गया दुकान खुल गई और ग्राहक और दुकानदार बैठे ही थे कि टीम आ गई और चालान कट गया।
भीड़ पर नहीं दिख रहा नियंत्रण
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दाएं और बाएं का नियम लागू किया गया है, लेकिन भीड़ पर अंकुश नहीं लग रहा है। भारी भीड़ आती-जाती दिखाई भी दे रही है जो बाजार में नहीं रुक रही है। जिससे आपदा प्रबंधन समिति का यह निर्णय अब दुकानदारों के लिए सिरदर्द बन रहा है। जिससे वह अब भले ही जुर्माना हो जाए दुकान खोलने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बाजार पूरा खुले भीड़ पर हो नियंत्रण
दुकानदारों के साथ शहर के लोगों की मांग है कि बाजार पूरा खोला जाए क्योंकि शहर का बाजार ग्रामीण और किसानों पर आश्रित है। किसान अपने गांव से बार शहर नहीं आएगा। जो बाजार में फालतू की भीड़ हो रही है। लोग यहां-वहां खड़े नजर आ रहे हैं। मास्क और सोशल डिस्टेंस टूट रहा है, उस पर सख्ती नहीं की जा रही है। जिससे अब दाएं व बाएं के बाजार को एक साथ खोलने और फालतू की भीड़ बाजार से हटाने की मांग की जाने लगी है।
 
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