दोपहर के ठीक 12 बजते ही आरती शुरू हुई। राजू सोनवलकर व उनके पुत्र वैभव सोनवलकर द्वारा जन्मोत्सव की विशेष आरती की।
इसके बाद नवजात श्रीराम को गर्भगृह से लेकर राजू सोनवलकर बाहर निकले। जहां दशरथ व कौशल्या के रूप में खड़े आलोक व निधि सोनवलकर ने अपनी गोदी में लेकर पालने में श्रीराम को आदर के साथ रखा। इसके बाद परिवार के सदस्यों ने बारी-बारी से नवजात श्रीराम के दर्शन किए। बदल गया पालना
लॉक डाउन के कारण जन्मोत्सव की परंपरा में फेरबदल किया गया। जहां मंदिर के मुख्य गेट पर लकड़ी का पालने में नवजात श्रीराम को रखा जाता था, वह इस बार नहीं लगाया गया। आर्टीफिशियल झूला मंदिर में ही रखकर परंपरा का निर्वहन किया गया। इसके बाद मराठी परंपराअनुसार पूजा अर्चना का कार्यक्रम दोपहर 2 बजे तक चलता रहा।