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दमोह

जिले भर में बिना किसी रजिस्ट्रेशन के बिक रहे स्नेक्स पैकेट्स, लोकल में की जा रही है पैकिंग

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4 years ago
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अलग-अलग नाम से बेचे जा रहे हैं स्नैक्स- शहर के साथ ग्रामीण अंचलों में बच्चों को लुभाने वाले नामों से स्नैक्स बेचे जा रहे हैं। बजारों में आपका माल मेरे बाप का माल, लल्लू की लुगाई, पप्पू के पापा, मोटू और पतलू जैसे नामों से स्नैक्स बनाकर बेचे जा रहे हैं। लेकिन उनमें न तो कोई पैकिंग डेट का उल्लेख किया गया है न ही एक्सपायर डेट का।

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उनमें यह भी उल्लेख नहीं है कि उसका प्रोडक्ट कौन कर रहा है। यह स्नैक्स बच्चों के को अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर डॉक्टर की मानें तो इस तरह के बिना किसी रजिस्टर्ड कंपनी के बेचे जाने वाले स्नैक्स बच्चों की जान का दुश्मन हो सकता है। मानक स्तर पर भी यह सही नहीं पाए जाते हैं।

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खास बात यह है कि शहर की दुकानों पर बिक रहे स्नैक्स के विरुद्ध खाद्य विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। खाद्य विभाग इस बात की पुष्टि अवश्य करता है कि इस तरह के खाद्य पदार्थों के सेवन से जानलेवा बीमारियों का खतरा बना रहता है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी दिखाई नहीं देता। इस मामले में गुरुवार को पत्रिका टीम ने पड़ताल में पाया।

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शहर के हृदय स्थल घंटाघर के समीप स्थित कुछ किराना दुकानों, बारहद्वारी बाजार, कचौरा बाजार, अस्पताली चौक, सहित अन्य कई किराना दुकानों में बिना किसी कंपनी के नाम के स्नैक्स बिकते पाए गए।

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इनकी रोकथाम के लिए नहीं उठाया जा रहा कड़ा कदम- विभिन्न नामों से बिक रहे बच्चों के इस स्नैक्स की बिक्री पर रोक नहीं लगाई जा रही है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी राकेश अहिरवार का कहना है कि खाद्य विभाग द्वारा पिछले दिनों इस तरह के बिकने वाले स्नैक्स के सेंपल लेकर प्रयोग शाला भेजे गए थे। जिसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जिस दुकान में भी इस तरह के स्नैक्स बेचे जाते हैं उन दुकानदारों के खिलाफ जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाती है। जानकारों का कहना है कि शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली यह खाद्य सामग्री बच्चों की पसंद होती है। दरअसल स्नैक्स के पैकेट्स के साथ उसमें निकलने वाले इनाम तथा रैपर पर लिखे नामों से बच्चे प्रभावित ंहोकर इसे खरीदने के लिए अभिभावकों को भी मजबूर करते हैं। जबकि इन पैकटों पर न निर्माता कंपनी का पूरा नाम लिखा होता है और न ही कहां यह सामग्री बनाई जा रही वह पता अंकित होता है। साथ ही मेन्युफेक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट को कोई प्रिंट किया जाता है। इन सबके बाद भी खाद्य सुरक्षा विभाग औपचारिक कार्रवाई तक ही सीमित नजर आती है। बीमारियों का बना रहता है खतरा आरएमओ डॉ. दिवाकर पटैल का कहना है कि स्नैक्स के पैकिटों में भरी खाद्य सामग्री को अधिक समय तक खराब होने से बचाने के लिए विशेष केमिकल उपयोग भी नहीं किया जाता है। जिससे शरीर के लिए हानिकारक होना स्वाभाविक है। यह सामग्री आंंतों के लिए सबसे अधिक नुकसानदायी बताई जाती है। इससे गंभीर बीमारियों को जन्म होता है। कम उम्र में ह्दय रोग की संभावना बन जाती है। बच्चे ब्लड प्रेशर, किडनी, कैंसर की समस्या से ग्रसित हो जाते हैं। कार्रवाई की जाएगी- दुकानदारों द्वारा बिना किसी निर्धारित नियमों के अगर स्नैक्स के पैकेट्स बेचे जा रहे हैं तो एक बार फिर शहर के साथ ग्रामीण अंचलों में आकस्मिक निरीक्षण किया जाएगा। जहां से सेंपलिंग कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। राकेश अहिरवार, जिला खाद्य अधिकारी

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