छोटे गांवों को रोजगार देने वाली भोपाल-बिलासपुर के स्टापेज हुए कम
दमोहPublished: Sep 15, 2021 09:50:05 pm
दो राज्य के ग्रामीणों की ट्रेन से चलती थी, आजीविका
Stoppage of trains providing employment to small villages reduced
दमोह. भोपाल-बिलासपुर ट्रेन बीना से लेकर छत्तीसगढ़ के बीच के छोटे से छोटे स्टेशन के ग्रामीणों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण साधन थी। जिसमें बुंदेलखंड और छत्तीसगढ़ के गरीब, मजदूरों व आदिवासियों के लिए रोजगार का सहारा था, जिससे महाकौशल के श्रमिक भी लाभ उठाते थे। यह ट्रेन कोरोना काल से बंद है, अब 17 सितंबर से पुन: चालू हो रही है, लेकिन इसके स्टापेज कम कर दिए गए हैं। जिससे छोटे गांवों के लोग जो बेकारी झेल रहे हैं, उन्हें इस ट्रेन का लाभ नहीं मिल पाएगा।
भारत के नक्शे में अब भले ही मप्र व छत्तीसगढ़ दो अलग राज्य हों, लेकिन जब भोपाल से बिलासपुर तक ट्रेन चलाई गई थी, जिसमें रेलखंड का छोटे से छोटा स्टेशन का भी स्टापेज किया था। जिससे इन छोटे स्टेशनों के ग्रामीणों को आजीविका चलाने के लिए प्रमुख साधन के रूप यह ट्रेन प्रतिदिन ट्रेक पर दौड़ा करती थीं। इस ट्रेन में लकडिय़ों के गठ्ठे, दूध के केन लटके नजर आते थे। अंदर बोरियों में सब्जियों, सीजनेवल जंगली फल व गर्मी के सीजन में तेंदूपत्ता के साथ चैत काटकर लौटते लोगों के साथ अनाज की बोरियां नजर आती थीं। कोरोना से इस ट्रेन के बंद होने के साथ ही इन छोटे-छोटे गांवों के लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है। अब ट्रेन पुन: प्रारंभ हो रही है तो ऐसे छोटे स्टेशनों को अब भी छोड़ दिया गया है, जहां के ग्रामीण इस ट्रेन के सहारे ही जीवन वसर करते थे। जिसमें बुंदेलखंड से विभिन्न वस्तुएं छत्तीसगढ़ जाती थीं और छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में श्रमिक बुंदेलखंड आते थे। जिनका आवागमन का साधन महज एक ट्रेन थी।
67 में से 36 स्टेशनों पर ही रुकेगी
भोपाल से बिलासपुर के बीच चलने वाली भोपाल-बिलासपुर ट्रेन पहले 67 स्टेशनों पर रुकती थी। अब यह स्टेशन केवल 36 स्टेशनों पर रुकेगी। जिसमें से 31 स्टेशनों को छोड़ दिया गया है। बीना-कटनी वाया दमोह, सागर रेल सेक्शन के बीच के 8 स्टेशनों के स्टापेज को खत्म किया गया है। भोपाल से बीना के बीच के एक स्टेशन के स्टापेज को खत्म किया गया है। स्टापेज खत्म होने वाले स्टेशन दीवानगंज, बघोरा, सुमरेरी, ईश्वरवार, लिधोरा खुर्द, करईया भदोली, सलैया व हरदुआ स्टेशन शामिल है। कटनी से बिलासपुर के बीच के कुल 22 स्टेशन है। जिन पर स्टापेज खत्म किया गया है। यह वही छोटे स्टेशन हैं, जहां से जंगली वनोपज, दूध, सब्जी व अन्य सामग्री के साथ श्रमिकों का अपडाउन मप्र व छत्तीगढ़ के बीच होता था।
सबसे पुरानी ट्रेनों में शुमार
दमोह-बीना रेल खंड पर यह ट्रेन आजादी के समय से पहले भी चलती थी, यह भारतीय रेल की सबसे पुरानी ट्रेन में शामिल है। इसे आम आदमी की ट्रेन भी कहा जाता है। यह ट्रेन आदिवासियों को बुंदेलखंड व छत्तीसगढ़ क्षेत्र की गरीब आम आदमी के लिए राजधानी भोपाल से सीधे जोडऩे के लिए भारतीय रेलवे द्वारा शुरू किया गया था। इस ट्रेन में मजदूर, किसान, दूध बेचने वाले, सब्जी बेचने वाले छोटे-छोटे स्टेशनों के बीच में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा होती थी। आम आदमी इधर से उधर आपने सुख दु:ख में छोटे.छोटे स्टेशनों के बीच की यात्रा करता था।
छोटे स्टेशनों के स्टापेज की मांग
दमोह रेल संघर्ष समिति द्वारा केंद्रीय रेलमंत्री को एक ज्ञापन दमोह स्टेशन मास्टर के माध्यम से प्रेषित किया है। जिसमें मांग की गई है कि जो 31 छोटे स्टेशन छोड़े जा रहे हैं, वहां भी भोपाल-बिलासपुर ट्रेन के पूर्ववत स्टापेज किए जाएं। ज्ञापन सौंपने वालों में राजेंद्र दवे, प्रांजल चौहान, सुरेंद्र छोटू दवे, लखन राय, सुभाष जादवानी, संतोष रैकवार सहित अन्य सदस्यों की मौजूदगी रही।