सब्जी विक्रेताओं ने बताया है कि दमोह में सब्जी बिकने के लिए छत्तीसगढ़ प्रांत के बिलासपुर, रायपुर से लाई जा रही है। वहीं प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, कटनी से लाई जा रही है। विक्रेताओं ने बताया है कि जिले में सब्जी की इतनी पैदावार नहीं होती है कि जिले की सब्जी मंडी में बिकने के लिए पहुंच सके। उन्होंने बताया कि जिन सब्जियों की पैदावार जिले में होती है वह स्थानीय ग्रामीण बाजारों में ही बिक जाती है और ग्रामीण बाजारों के लिए भी पर्याप्त नहीं होती है। विक्रेताओं के अनुसार जिले में सब्जियों के दाम तेजी से बढऩे के पीछे दूर दराज से सब्जी की आवक होना है, क्योंकि ट्रांसपोर्ट का खर्च अधिक रहता है, जो सब्जियों के दामों को बढ़ाने का प्रमुख कारक है।
पानी की कमी से नहीं होती पैदावार
जिले में सब्जियों की पैदावार कम होने की वजह पानी का संकट होना है। जिले में हर साल की तरह इस साल भी इन दिनों पानी का संकट बना हुआ है। लोगों को पीने के पानी के लाले पड़े हैं, ऐसे में खेतों में सिंचाई होना संभव नहीं है। जानकारों ने बताया है कि पानी की कमी की वजह से जिले में सब्जी की पैदावार किसानों द्वारा नहीं की जाती है। बताया गया है कि जिले के पथरिया तहसील क्षेत्र में ही हरी सब्जी की पैदावार होती है।
विभिन्न सब्जियों के वर्तमान दाम
आलू 15 से 20 रुपए किलो
प्याज 20 रुपए किलो
टमाटर 25 रुपए से 30 रुपए किलो
भटा 30 रुपए किलो
शिमला मिर्च 40 से 45 रुपए किलो
हरी धनिया 100 से 110 रुपए किलो
मिर्च 100 रुपए किलो
गोबी 25 से 30 रुपए नग
कच्चे आम 45 रुपए किलो
दोगुना का आया अंतर
शहर के कचौरा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में सब्जी का कारोबार करने वाले व्यापारी आजाद शमीम खान, फोदू राइन, तुलसी पटेल, अजय पटेल, राहुल खटीक ने बताया है कि पिछले दो माह के भीतर सब्जी के दामों में दोगुना अंतर आया है। जो सब्जियां 10 रुपए किलो थीं, वह 20 से 25 रुपए प्रति किलो बिक रहीं हैं। इन्होंने बताया है कि सब्जी के दाम बढऩे की वजह से खरीदी में भी असर देखा जा रहा है। दाम अधिक होने की वजह से अधिकांश ग्राहक कम मात्रा में ही सब्जी खरीद रहे हैं। दुकानदारों की माने तो सब्जी के बढ़े दामों का सबसे अधिक असर गरीब तबके व सामान्य श्रेणी के लोगों पर देखा जा रहा है।