दमोह जिले में बिखरी पुरा संपदा, सहेजने के नहीं किए प्रयास
दमोहPublished: Sep 02, 2021 10:06:02 pm
गर्भ में दबे पुरा अवशेष को लोगों को कर रहे हैं खुर्द-बुर्द
The entire wealth scattered in Damoh district, no efforts were made to save
दमोह. दमोह जिले में राजशाही काल के दौरान पत्थर शिल्प कला के कई नमूने उकेरे गए थे। दमोह जिले में वन्य जीव, अभ्यारण्य, ऐतिहासिक इमारतें किले व जिले में बिखरी प्राचीन प्रतिमाएं सहेजे न जाने से अब भी गांवों में उपेक्षित पड़े हैं। दमोह जिले में ऐसा कोई भी गांव नहीं है, जहां खैर माई या खैर माई चबूतरा के नाम पर पाषाण प्रतिमाएं न रखी हों। बांदकपुर के पास छितराखेड़ा गांव की तो यह हालात यहां गांव में कई जगह प्रतिमाएं बिखरी हुई है।
दमोह जिले में कुछ जगह पुरातत्व विभाग ने स्मारक संरक्षित तो कर लिए हैं, लेकिन इन स्मारकों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए कोई भी प्रयास जमीन स्तर पर नजर नहीं आ रहे हैं।
दमोह जिले के कई इलाकों में मौजूद है। जिले के अनेक स्थानों में प्राचीन मूर्तियां व धरोहरें बिखरी पड़ी हैं। अनेक प्राचीन धरोहरें तो सामने आ गई हैं। लेकिन कुछ स्थानों पर धरोहर होने के अवशेष मिले हैं। ऐसे स्थानों पर मिले अवशेष के आधार पर प्राचीन धरोहरों को खोजने व उसे सहेजने में जिले के पुरातत्व विभाग ने कभी कोई रूचि नहीं दिखाई है।
दमोह का इतिहास हर काल में मौजूद है। यहां पर जो प्राचीन कलाकृतियां और संपदा मिलती है। उनसे पता चलता है कि दमोह प्राचीन काल, गुप्तकाल, रामायण काल और आधुनिक काल में भी चर्चा में रहा है। हर काल से जुड़ी कलाकृतियां भी यहां पर मिल रही है। इन कालों की पुष्टि पुरा संपदा से ही हो रही है। उनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है। जानकारी के मुताबिक जिले के हिंडोरिया, रनेह से लेकर कई थानों में प्राचीन कलाकृतियां रखी हुईं हैं। रनेह थाना में भागवान शांतिनाथ की दो प्रतिमाएं रखी हुईं हैं। मूर्तियां खंडित हो गईं हैं। उन्हें कहीं भी म्यूजियम में स्थापित किया जा सकता है। हिंडोरिया में तो इतनी प्रतिमाएं हैं कि यहां-वहां पर बिखरी पड़ी हैं। न तो उनकी गिनती की गई है और न ही उन्हें संरक्षित करने के लिए किसी के सुपुर्द किया गया है। अब तक पुरातत्व विभाग ने मौके पर जाकर प्राचीन प्रतिमाओं का निरीक्षण व उसे सहेजने की ओर ध्यान नहीं दिया है।
केवल 18 स्थान हैं पंजीकृत
भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत फुटेरा तालाब के बराह, नोहटा मंदिर, हटा, मडियादो किला शामिल है। मप्र संग्रहालय के पास दमयंती किला, गिरजा घर, रुकमणी मठ, कुंडलपुर, छितराखेड़ा बांदकपुर सकौर गुप्तकालीन मंदिर, भिलौनी जटाशंकर किला, बरी कनौरा, रनेह मठ, हटा किला रंगमहल, कोड़ल शिव मंदिर, नोहलेश्वर मंदिर सहित अन्य मंदिर शामिल है।
खुदाई में मिल रही है पुरा संपदा
तेंदूखेड़ा ब्लॉक के बोरिया व समनापुर गांव में हाल ही में ग्रामीणों द्वारा की जा रही खुदाई में पुरा अवशेष मिल रहे हैं। जिसमें महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली मालाएं, प्राचीन प्रतिमाएं मिली हैं। इसके अलावा गांवों में पुराने घर बनाए जाने के कारण भी खुदाई में अनेक वस्तुएं मिल रही हैं।
संग्राहलय नहीं पहुंच रही पुरा संपदा
दमोह जिले में लगातार गर्भ से निकल रही पुरा संपदा पर शोध नहीं हुए। इस पुरा संपदा को जब्त कर संग्राहलय में संग्रहित नहीं किया जा रहा है। जिससे खुले बाजार में लोगों द्वारा बेचा जा रहा है। बोरिया गांव में निकल रहे रत्न रूपी मनकों के खरीददार गुजरात व राजस्थान से पहुंचे थे और अंतर राष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं को पहुंचाया गया। जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा लेकिन पुरातत्व विभाग की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई है।