खेत में कर रहे थे रखवाली- बांसनी गांव में खेत में रखवाली करने वाले लालसिंह आदिवासी ने बताया कि वह खेत की रखवाली करने के लिए खेत में ही झोपड़ी बनाकर रहता था। परिवार में उसकी पत्नी सहित बच्चे भी सो रहे थे। रखवाली करने के कारण वह झोपड़ी के बाहर खेत की मेड़ पर सो रहा था। खेत में मवेशी न घुस जाएं इसलिए वह झोपड़ी की जगह खेत की मेड़ पर सो रहा था। लेकिन रात में करीब पौने बाहर बजे जब पत्नी सहित बच्चों की चीख पुकार सुनाई दी तो तुरंत ही बच्चों को बचाने दौड़ा। लालसिंह व उसकी पत्नी एक-एक करके सो रहे, व आग में झुलस रहे बच्चों को बाहर निकालने का लगातार प्रयास करते रहे। इस बीच आवाज सुनकर आस पास के लोग दौड़े जिन्होंने घटना की जानकारी देकर १०८ व पुलिस को बुलाया।
यह झुलसे –
आग में झुलसे लालसिंह आदिवासी पिता बाबूलाल आदिवासी (४५), प्रीति पुत्री लालसिंह (१५), राधा पुत्री लालसिंह (०७), दुर्गा पुत्री लालसिंह (०५), लालसिंह की भतीजी रामप्यारी पुत्री मूलचंद आदिवासी (०३) साथ ही लालसिंह की पत्नी भी आग में झुलसने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पुलिस ने पहुंचकर की जांच –
घटना की जानकारी लगते ही सीएसपी आलोक शर्मा, सागर नाका चौकी प्रभारी आलोक तिरपुड़े, पुलिस स्टॉफ के साथ जिला अस्पताल पहुंचे। जहां पर उन्होंने घटना स्थल का मुआयना करने के बाद जिला अस्पताल पहुंचकर पीडि़त के बयान दर्ज किए।
जिला अस्पातल में पदस्थ ड्यूटी पर तैनात डॉ. एके जैन ने बताया कि बच्चों सहित सभी लोग २५ से ३० फीसदी झुलसे हैं। जो खतरे से बाहर हैं।
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यह झुलसे –
आग में झुलसे लालसिंह आदिवासी पिता बाबूलाल आदिवासी (४५), प्रीति पुत्री लालसिंह (१५), राधा पुत्री लालसिंह (०७), दुर्गा पुत्री लालसिंह (०५), लालसिंह की भतीजी रामप्यारी पुत्री मूलचंद आदिवासी (०३) साथ ही लालसिंह की पत्नी भी आग में झुलसने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पुलिस ने पहुंचकर की जांच –
घटना की जानकारी लगते ही सीएसपी आलोक शर्मा, सागर नाका चौकी प्रभारी आलोक तिरपुड़े, पुलिस स्टॉफ के साथ जिला अस्पताल पहुंचे। जहां पर उन्होंने घटना स्थल का मुआयना करने के बाद जिला अस्पताल पहुंचकर पीडि़त के बयान दर्ज किए।
जिला अस्पातल में पदस्थ ड्यूटी पर तैनात डॉ. एके जैन ने बताया कि बच्चों सहित सभी लोग २५ से ३० फीसदी झुलसे हैं। जो खतरे से बाहर हैं।
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