इसके बाद दमोह के लिए एंबुलेंस का इंतजार स्ट्रेचर पर ही लिटाए करते रहे। इस दौरान उन्हें बॉटल लगी थी, जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो प्राइवेट वाहन से दमोह अस्पताल के लिए निकले लेकिन पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया था।
दमोहPublished: Oct 16, 2019 11:13:10 pm
Sanket Shrivastava
सिविल अस्पताल हटा का मामला
The iron piece was sunk in and made the ointment bandage
हटा. सिविल अस्पताल हटा में लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति के हाथ में 9 सितंबर को लोहे का टुकड़ा घुस गया था। लोहे का एक टुकड़ा उसके हाथ में धंसा रहा और मरहम पट्टी कर दी गई थी। जिसके बाद बुधवार को जब पहुंचा तो उसके हाथ में घुसा जंग लगा टुकड़ा बाहर निकाला गया। सीताराम प्रजापति को काम करते वक्त चोट लग गई थी। इलाज के लिए हटा अस्पताल पहुंचा था। जहां उसके गहरे घाव पर तीन टांके लगाकर मरहम पट्टी कराई गई। इसके बाद वह अस्पताल लगातार पट्टी कराने जाता रहा, लेकिन उसके हाथ के अंदर जख्म में छुपा लोहे का टुकड़ा किसी को नजर नहीं आया। जब दर्द बड़ रहा था और अंदर कुछ होने का अहसास हुआ तो उसी ने हाथ के जख्म को कुरेदा तो अंदर लोहे के टुकड़े का अहसास हुआ। जिसने खुद खींचकर बाहर निकाल दिया। सीताराम का कहना है कि अस्पताल में उसने तीन डॉक्टरों को घाव दिखाया और मरहम पट्टी कराई लेकिन किसी को भी अंदर घुसा लोहे का टुकड़ा नहीं दिखा।
बन जाता पाइजन
अस्पताल के ही एक डॉक्टर से जानकारी ली गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अंदर लोहे का टुकड़ा यदि कुछ दिन और फंसा रहता तो इस मरीज के शरीर के अंदर पाइजन बनना शुरू हो जाता, जो ब्लड के माध्यम से पूरे शरीर में फैलकर जानलेवा साबित हो सकता था, लेकिन सही समय पर बाहर निकल जाने से अब उसे कोई खतरा नहीं है।
हाथ में लिख दिया इंजेक्शन का नाम
हटा अस्पताल का एक ओर अमानवीयता का मामला सामने आया है कि सर्पदंश की शिकार को एंटी स्नैक का डोज देकर दवा का नाम उसके हाथ पर लिख दिया गया था। इसके बाद करीब डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई। फतेहपुर गांव की एक महिला सर्पदंश की शिकार हो गई थी। जिसे गंभीर हालत में हटा सिविल अस्पताल लाया गया। वहां पर इंजेक्शन देकर जिला अस्पताल रेफर की पर्ची बना दी गई। इस दौरान एंबुलेंस के लिए काल किया लेकिन वह डेढ़ घंटे तक नहीं पहुंची तो परिजन प्राइवेट वाहन से जिला अस्पताल आने लगे, इस दौरान बीच में ही महिला ने दम तोड़ दिया। मृतिका के बेटे कृष्ण गर्ग ने बताया कि उसकी मां को इंजेक्शन लगाया व उसका नाम उसके हाथ पर लिख दिया।
इसके बाद दमोह के लिए एंबुलेंस का इंतजार स्ट्रेचर पर ही लिटाए करते रहे। इस दौरान उन्हें बॉटल लगी थी, जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो प्राइवेट वाहन से दमोह अस्पताल के लिए निकले लेकिन पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया था।