जनपद पंचायत हटा के कई गांवों में पक्की सड़कों का अभाव बना हुआ है। मडिय़ादो क्षेत्र की ग्राम पंचायत बछामा के मदनपुरा, स्यामरसिंघी चौरईया के झरयार व पाटन, घोघरा के जुनेरी, कारीबरा आदी गांवों में सड़कों के नहीं होने से ग्रामीणों को बारिश के मौसम में परेशानी का सामना कर रहे हैं। अनेक ग्राम पंचायतों के द्वारा मुरम के स्थान पर सड़कें के नाम पर मिट्टी डाल कर औपचारिकता पूरी कर सड़कों का निर्माण कराया है। जो बारिश में दलदल में तब्दील हो रही है।
क्षेत्र की मडिय़ादो मलवरा, बछामा, घूरखेड़ा, चौरइया ग्राम पंचायतों पंचायतों में सड़कों के नाम पर बड़ा खेल हुआ है। यहां मुरम मिट्टी बिछा कर तीन से चार किमी तक की गांवों में सरपंच, सचिवों ने मिट्टी डालकर गुणवत्ताहीन सड़कों का निर्माण करा दिया गया। जिसमें सरकारी रुपयों को गलत तरीके से दुरपयोग हुआ है। बारिश में सड़कों की मिट्टी बहने के कारण सड़कों पर वाहन तो दूर पैदल भी चलना जंग जीतने के बराबर है।
पाटन गांव निवासी गोरेलाल यादव का कहना है कि गांव की सड़क नाम के लिए रह गई। बारिश के मौसम में आने जाने में बड़ी परेशानी होती है। कारीबरा निवासी रामविशाल ने बताया गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं बनी। कुछ समय पहले मिट्टी की सड़क निर्माण हुई थी। इसी मार्ग पर एक नाला है जिसकी पुलिया का निर्माण नहीं हुआ। जो बारिश के कारण परेशानी बड़ा रही है।
अब तक मिले सिर्फ आश्वासन
ब्लॉक के सड़क विहीन गांव में चुनावों के दौरान वोट मांगने वाले प्रत्याशी हर बार सड़कों का आश्वासन देकर आते हैं। लेकिन पिछले कई सालों से ये वादे और घोषणाएं कोरे आश्वासन ही बने हुए हैं। लोग अब भी परेशान हैं। सड़क विहीन गांव खड़पुरा के लोग विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान सड़क का आश्वासन मिला था। लेकिन सड़क पक्की होना तो दूर, कच्ची सड़क भी नसीब नहीं हुई। यहां के लोग कीचड़ और दलदल से निकलकर आवागमन करने विवश हैं।