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मुआवजा की मांग को लेकर अड़े ग्रामीण, वन विभाग को दी चेतावनी, कहा नहीं हटेंगे

locationदमोहPublished: Mar 14, 2018 12:24:25 pm

Submitted by:

pushpendra tiwari

विस्थापन की कार्रवाई

सभी मकानों को तोड़ दिया

सभी मकानों को तोड़ दिया

तेंदूखेड़ा. जिले की सीमा में शामिल नौरादेही अभयारण्य के ग्राम तिंदनी और ग्वारी में विस्थापन की कार्रवाई के चलते अभयारण्य के सरकारी अमले ने बुल्डोजर से वनांचल के सभी मकानों को तोड़ दिया है। ग्राम में मात्र मकानों के टूटकर धरासाई हुई भवन निर्माण सामग्री पत्थर ईंट के ढेर ही बचे हुए हैं।

विस्थापन कार्रवाई में शामिल ग्वारी ग्राम में मात्र दो परिवार व कुछ परिवार के लोग तिंदनी ग्राम छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। दरअसल ग्रामवासियों का आरोप है कि जब तक हम लोगों को शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा नहीं मिलता है, तब तक हम लोग ग्राम नहीं छोड़ेंगे। भले ही इस बात को लेकर जान देनी ही क्यों न पड़ जाए।

विदित हो कि तिंदनी व ग्वारी ग्राम नौरादेही जंगल में बसे हैं। नौरादेही अभयारण्य के ग्राम तिंदनी व ग्वारी के विस्थापन में कई हितग्राहियों के दस्तावेजों में हेरफेर कर अपात्रों को लाभ दिए जाने के गंभीर आरोप भी इस मामले में उजागर हो चुके हैं। दोनों ग्रामों में जिन्हें मुआवजे की राशि नहीं मिली है, ऐसे लगभग 27 लोगों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर पैसे लेकर उनके दाखिल खारिज नंबर दूसरों को देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन लोगों ने जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के आलाधिकारियों के समक्ष भी मामले की शिकायतें कीं हैं। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

तिदनी के ग्वारी मोहल्ला में मात्र दो परिवार ही शेष बचे हैं। तिंदनी पटवारी हल्का नंबर 54 रतन पिता गोरेलाल ने कहा कि मकान का मुआवजा दिया है, लेकिन अभी तक हमारी 3.5 एकड़ जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। जबकि सालभर पहले पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव के अलावा कलेक्टर, एसडीएम, समक्ष शिकायत की थी, वहीं शिकायतकर्ता ने बताया है कि राजस्व अधिकारियों ने आवेदन लेने से भी मना कर दिया था। लेकिन पंचायत मंत्री ने तत्काल कार्रवाई कर मुआवजा दिए जाने के आदेश सबंधित अधिकारियों को दिए थे।

तिदनी ग्राम के मुन्ना, चउदा, दशरथ, नेमावाई, प्रेमरानी सहित अनेक लोगों ने नौरादेही अभयारण्य के अधिकारियों पर आरोप लगाकर कहा है कि ग्राम के दलित समाज के साथ अन्याय किया जा रहा है। ग्राम के लोगों को अपात्र बताकर विस्थापन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया है कि कुछ समय पहले ही ग्राम में आए एक बंगाली डाक्टर को गांव में रहने के फर्जी कागजात बनाकर अधिकारियों से सांठगांठ कर विस्थापन का पैकेज दिया गया है।लेकिन जिनका 1995-96 में जन्म हुआ है, उनको अपात्र कर दिया है। जिनका वर्ष 2003 जन्म हुआ है उनको पात्र बनाकर फायदा दिया गया।

बताया गया है कि ग्राम की अहिरवार समाज के लोगों की बेटियों का विवाह हो गया है उन्हें विस्थापन का लाभ नहीं दिए जाने का कह दिया गया है। लेकिन ग्राम के अनेक दबंग लोगों ने बीआरसी और प्रधान अध्यापक से सांठगांठ कर अहिरवार समाज की उन्ही शादीशुदा बेटियोंं के दाखिल खारिज नंबर लेकर अपने कम उम्र बच्चों के नाम बदलकर आपत्रों को फायदा दिया गया है।

मामले में नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ विश्वकर्मा ने कहा है कि क्षेत्र में पर लगभग 5 से 6 लोग हैं जो ग्राम को खाली नहीं कर रहे हैैं। ये लोग पात्र नहीं है, लेकिन मुआवजा मांग रहे। मुआवजा देने की कार्रवाई एसडीएम ही द्वारा की जाती है। मुआवजे में की गई गड़बड़ी की जानकारी नहीं है, क्योंकि मैं अभी कुछ दिनों पहले ही आया हूं।
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