अनाधिकृत ऑटो दौड़ रहे सड़कों पर वसूल रहे मनमाने किराया
दमोहPublished: Jun 16, 2020 09:32:39 pm
बसें न चलने के कारण ऑटो चालकों की मनमानी
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दमोह. कोरोना संक्रमण काल के दौरान प्रतिबंधात्मक आदेश के तहत ऑटो का संचालन प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन अनाधिकृत तौर पर ऑटो गांव से लेकर शहर और शहर से लेकर गांव तक दौड़ रहे हैं। इतना ही नहीं नियम विरुद्ध चलने के कारण यह मनमाना किराया भी वसूल रहे हैं। 30 से 50 किमी तक का किराया ५०० से ७०० रुपए तक वसूला जा रहा है।
बसों का संचालन न होने के कारण आम आदमी आवागमन के लिए या तो बाइक या ऑटो पर निर्भर हो गया है। दमोह जिले जैसे पिछड़े क्षेत्र में अभी भी हर घर में बाइक उपलब्ध नहीं हो पाई है। या परिवार सदस्य संख्या ज्यादा होने पर अब एक मात्र सवारी ऑटो बचती है। ऑटो वाले भी भलि-भांति परिचित हैं कि ऑटो चलना अभी प्रतिबंधित हैं। इसलिए वह सभी जोखिम व चालानी कार्रवाईयों के झमेले में फंसने के लिए किराया ज्यादा बोलते हैं, मजबूरी में लोग किराया ज्यादा देने के लिए तैयार हो रहे हैं।
स्टेशन से 1 किमी दूरी के 50 रुपए
ऑटो चालक वर्तमान में आ रही ट्रेनों से उतरने वाले यात्रियों के लिए शहर की एक किमी की दूरी में पहुंचाने का किराया ५० रुपए वसूला जा रहा है। रात के समय यह किराया १०० रुपए तक पहुंच रहा है। जिससे लोगों ऑटो किराए का अधिभार झेलना पड़ रहा है।
पथरिया से दमोह का किराया 700
ग्रामीण रमेश ठाकुर बताते हैं कि वह पथरिया से दमोह तक ऑटो से आए थे, ऑटो वाले ने रिजर्व ऑटो के ७०० रुपए लिए थे, पहले १ हजार रुपए मांग रहा था, लेकिन दमोह इलाज कराने आना था, जिससे ज्यादा किराया देना।
मजबूरी में चला रहे ऑटो
वहीं दूसरे पहलू को देखे तो ऑटो चालकों का कहना है कि उन्हें मालूम है कि अभी तक कलेक्टर ने ऑटो चलाने की अनुमति नहीं दी है, लेकिन लोगों की कई विवशताएं हैं। जिन्हें देखते हुए वह ऑटो चलाने तैयार हो रहे हैं। ज्यादा किराया इसलिए ले रहे हैं कि दमोह शहर में प्रवेश होते ही चालानी कार्रवाई शुरू हो जाती है, जिससे जुर्माने की राशि का भार भी उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ रहा है। ऑटो चालकों का कहना है कि यदि ऑटो चलाने की अनुमति मिल जाए तो उन्हें चोरी छिपे ऑटो चलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अभी भी कई ऑटो चालक हैं, जो ऑटो नहीं चला रहे हैं।
शासन को पहल करना चाहिए
अब आम नागरिक बसें बनने से काफी परेशान हो गए हैं। वह अब आवागमन के लिए बसों के संचालन की बांट जोह रहे हैं, लेकिन सरकार बस संचालकों को टैक्स में रियायत नहीं दे रही है, जिससे बसों को छूट मिलने के बाद आम आदमी की सुविधा की ओर शासन का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे धीरे-धीरे अब आमजनों में गुस्सा पनप रहा है क्योंकि ऑटो की सवारी उन्हें महंगी साबित हो रही है और कई लोगों का बजट बिगाड़ रही है।