scriptमृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना | Unique tradition People dance here after death also sing a song | Patrika News

मृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना

locationदमोहPublished: Oct 18, 2019 04:50:37 pm

Submitted by:

Samved Jain

मृत्यु भोज पर बंजारा समुदाय के लोग गीत गाकर करते हैं अनोखा नृत्य,मातम का यह अवसर भी जश्न के रुप में आने लगता है नजर,बंजारों के लिहगी में देखनी मिलती है इनकी विशेष कला

मृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना

मृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना

दमोह. अनोखी परंपराओं के बारे में आपने बहुत पढ़ा होगा, लेकिन ऐसी भी कोई परंपरा है, शायद आपको कभी पता हो। यहां मृत्यु के बाद लोग नृत्य करते है। नाच-गाना होता है। शराब पार्टी होती है। दृश्य भी कुछ होता है जैसे किसी की शादी पार्टी चल रही हो। पढऩे पर विश्वास नहीं होगा, इसीलिए वीडियो लेकर आए जो आप खुद ही देख लीजिए।
दमोह जिले के मडिय़ादो क्षेत्र का बंजारा समुदाय के लोगों में तेरहवीं के मृत्युभोज में गीत और नृत्य की ऐसी अनोखी प्रथा का परंपरानुसार निर्वहन किया जाता है जिससे मातम का यह अवसर जश्न के रुप में नजर आने लगता है। इनकी यह परंपरा देखने वालों को हैरत में डाल देती है। सुमदाय के लोग इस खास नृत्य का आयोजन रात के समय करते हैं।
मृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना
बताया गया है कि जिसके घर मातम का मौका आता है तो तेरहवीं के दिन समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और सभी मिलकर झुंड में इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। खासबात यह है कि इस नृत्य में समुदाय के सिर्फ पुरुष ही हिस्सा लेते हैं। पत्रिका के लिए युसूफ पठान द्वारा जब इस आयोजन की लाइव कवरेज की तो देखा गया कि पुरुषों का एक समूह एक दूसरे को हाथों को पकड़कर, झूमते हुए नृत्य कर रहे थे। एक लकड़ी पर लाल रंग का झंडा लगा रहता है और लकड़ी जमीन में धसी रहती है। इसके चारों तरफ घूम-घूमकर नृत्य का प्रदर्शन होता है।
मृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना
बताया गया है कि यह घुम्मकड़ जाति का समुदाय वर्षों पहले राजस्थान से रोजगार की तलाश में एमपी के कई जिले में आकर बस गया है। जिले के सादपुर, जागूपुरा, अमझिर, कलकुआ, हरदुटोला, मडिय़ादो आदि गांवों में अब यह स्थाई निवासी बनकर रह रहे हैं।

खुशी के मौके पर महिलाएं करती हंै यह नृत्य
समुदाय के लोगों द्वारा बताया गया है कि मातम के मौके पर जिस तरह से नृत्य का प्रदर्शन पुरुषों द्वारा किया जाता है। उसी तरह महिलाओं द्वारा इस तरह का नृत्य खुशी के मौकों पर किया जाता है। जब समुदाय में किसी का विवाह होता है तो समुदाय की महिलाएं इस नृत्य को करतीं हैं।

मृत्यु के बाद यहां लोग करते है नृत्य, होता है गाना-बजाना

कच्ची शराब के बिना अधूरा रहता है नृत्य
इस नृत्य को करने के दौरान समुदाय के लोग शराब की मस्ती में मस्त रहते हैं। बताया गया है कि इस नृत्य के दौरान अधिकांश महिलाएं या पुरुष महुआ की बनी कच्ची शराब का सेवन करते हैं। इस नशे के बगैर नृत्य अधूरा माना जाता है।

बीती रात मडिय़ादो के मदनटोर में यह नृत्य चल रहा था। इस दौरान यहां के निवासी घासा बंजारा ने बताया समुदाय में एक तेरहवीं कार्यक्रम का भोज आयोजित हुआ है। इसमें भोज करने के बाद पुरुष लिहगी नृत्य में शामिल होते जाते हैं। ऐसा रात्रि भर चलेगा। तेरहवीं कार्यक्रम के इस लिहगी नृत्य में पुरूष ही शामिल होते हैं। यदि खुशी का माहौल होता है तो महिलाओं के द्वारा लिहगी नृत्य किया जाता। विदित हो कि इस नृत्य की कवरेज के दौरान काफी अंधेरा था। समुदाय के लोगों से मिली अनुमति के बाद बाइक की रोशनी में नृत्य को कवरेज किया जा सका था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो