सोमेश गुप्ता ने बताया कि इस बार उनकी ग्राम पंचायत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई थी। उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया था। पत्नी अनुसूचित जाति से हैं और इसलिए उन्होंने उनका नामांकन दाखिल कराया। नामांकन दाखिल करने से पहले ही गांव के सभी लोगों ने बैठकर सर्वसम्मति से तय किया कि इस बार सरपंच और पंच निर्विरोध चुने जाएंगे। जिस पर सभी ग्रामीणों ने अपनी सहमति की मुहर लगाई।
सीएम की मंशा समरस पंचायत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों समरस पंचायत का ऐलान किया था। उनकी मंशानुरूप ये दोनों पंचायतें हैं।
ये किए थे ऐलान
ऐसी ग्राम पंचायत जिसके सरपंच निर्विरोध हों, उन्हें रु.5 लाख का पुरस्कार।
सरपंच पद के लिए वर्तमान निर्वाचन व पिछला निर्वाचन निरंतर निर्विरोध होने पर रु.7 लाख का पुरस्कार।
पंचायत में सरपंच-पंच के सभी पदों पर महिलाओं का निर्वाचन निर्विरोध रूप से हो तो पुरस्कार राशि रुपए 15 लाख रुपए तय की गई है।
वहीं बालाघाट जिले की ग्राम पंचायत बघोली के लोगों ने मिसाल पेश की है। बैठक बुलाकर इस वर्ष पंचायत चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया गया। सहमति बनाकर गांव की सरकार चुन ली। यहां न केवल ग्रामीणों ने आपसी सहमति से अपना सरपंच चुना, बल्कि उप सरपंच और पंचों का भी चयन किया।
दूसरी ओर सिंगरौली जिले के चितरंगी जनपद पंचायत के खम्हारडीह ग्राम पंचायत में सरपंच के साथ सभी 17 पंच निर्विरोध हंै। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के निर्वाचन प्रक्रिया के तहत 6 जून को नामांकन की अंतिम तिथि थी। ग्राम पंचायत में न ही सरपंच प्रत्याशी लखपति साकेत के विरुद्ध किसी ने पर्चा भरा और न ही पंचों के विरुद्ध कोई नामांकन हुआ।