आर्थिक रूप से पिछड़े दमोह जिले के गांवों में कोरोना अलर्ट के दौरान जागरुकता तो दिख रही है, लेकिन शहरों जैसी सुविधाएं सेनेटाइजर, हैंडवॉश अब भी 85 फीसदी ग्रामीणों को उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। 15 फीसदी ग्रामीणों में 10 फीसदी ग्रामीण ऐसे हैं,
जो हाथ धोने के लिए कपड़े धोने के साबुन का इस्तेमाल करते हैं। केवल 5 फीसदी किसान ही हैंडवॉश का इस्तेमाल कर रहे हैं।
शौच के बाद भी मिट्टी से धोते हैं हाथ दमोह जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से एक ओर जानकारी आ रही है कि जो ग्रामीण शौच के लिए बाहर जाते हैं वह आज भी मिट्टी का इस्तेमाल ही करते चले आ रहे हैं।
बाहर लगे हैंडपंपों पर मिट्टी से हाथ धोने के बाद घर आते हैं। कुछ लोग जागरुक हुए हैं तो कपड़े धोने की साबुन जो घुरकर छिपट के रूप में बचती है उसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
मिट्टी से बाल, राख से बर्तन जबेरा ब्लॉक के बम्हौरी माला गांव के हरिदास व रामकली ने बताया कि टीवी पर रोज हाथ धोने के बारे में बताया जा रहा है,
जिस पर बताए जा रहे साबुन न होने से वह मिट्टी और राख का उपयोग कर रहे हैं। महिलाएं मिट्टी से अपने बाल धोती हैं और राख से बर्तन मांझ रहीं हैं।