&सीपेज से कोई विशेष नुकसान नहीं है। जो सफेद कलर की परत है यह फिटकरी
की है।
आकाश गुरु, इंजीनियर कंपनी
दमोहPublished: Aug 24, 2019 12:53:17 am
Sanket Shrivastava
निर्माण की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
Water started seeping from the tanks of the new filter plant
दमोह. करोड़ों की लागत से बना शहर का नया फिल्टर प्लांट जो डेढ़ से दो वर्ष पहले शुरु हुआ है इसमें जगह जगह से सीपेज हो रहा है। प्लांट के वॉटर टैंकों से एक दो नहीं बल्कि कई जगहों से पानी रिस रहा है। करीब एक एकड़ में बने इस फिल्टर प्लांट पर पानी को पांच चरणों में शुद्ध किया जाता है। जुझारघाट और राजनगर जलाशय से आने वाला पानी प्लांट पर पहुंचने के बाद टैंकों में क्रमश: पहुंचता है। इन्हीं टैंकों में सीपेज जहां तहां देखा जा सकता है। जिन प्वाइंटों पर पानी रिस रहा है वहां पर फिटकरी व ब्लीचिंग की सफेद रंग की मोटी परत चढ़ गई है।
टैंकों से हो रहे रिसाव को लेकर प्लांट पर जल सप्लाई की जिम्मेदारी व प्लांट का निर्माण करने वाली एजेंसी एमसीएस के इंजीनियर से बात की तो बताया कि यह सीपेज काफी समय से हो रहा है।
हालांकि इससे अधिक नुकसान नहीं है। जो सफेद परत है यह फिटकरी की परत है।
४० करोड़ से अधिक लागत के जुझारघाट प्रोजेक्ट के तहत फिल्टर प्लांट का निर्माण किया गया है। प्रोजेक्ट के तहत जुझारघाट से ब्यारमा का पानी फिल्टर प्लांट तक लाया गया है और इस पानी को शुद्ध करने के लिए फिल्टर प्लांट बनाया गया। लेकिन करोड़ों की लागत से बने इस प्लांट के टैंकों की दीवारों से रिस रहा पानी इस बात को बखान कर रहा है कि बिल्डिंग निर्माण के दौरान गुणवत्ता के मानकों को पूरा नहीं किया गया।
कंपनी को पांच वर्षों तक करना है रखरखाव
प्लांट निर्माण करने वाली एसएमसी कंपनी को फिल्टर प्लांट की बिल्डिंग का रखरखाव व जल शुद्ध करने का कार्य पांच वर्षों तक करना है। इस समयावधि को पूरा होने में आधा समय शेष है। प्लांट पर सीपेज से बनी इस स्थिति को ठीक करने को लेकर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। खासबात यह है कि फिल्टर प्लांट की मॉनीटिरिंग के लिए नपा के सब इंजीनियर मौके पर रोजाना पहुंचते हैं लेकिन इन सीपेज को देखकर निर्माण एजेंसी को किसी तरह के दिशा निर्देश नहीं दिए गए।
&सीपेज से कोई विशेष नुकसान नहीं है। जो सफेद कलर की परत है यह फिटकरी
की है।
आकाश गुरु, इंजीनियर कंपनी