scriptकहां गईं संवेदनाएं- 12 घंटे बाद उठाया गया प्लेटफार्म नंबर एक स्टेशन परिसर से वृद्ध का शव | Where did the condolences go - 12 hours later, the number one dead bo | Patrika News

कहां गईं संवेदनाएं- 12 घंटे बाद उठाया गया प्लेटफार्म नंबर एक स्टेशन परिसर से वृद्ध का शव

locationदमोहPublished: Jan 22, 2020 12:39:11 am

Submitted by:

lamikant tiwari

जीआरपी व स्टेशन प्रबंधक एक दूसरे पर लगाते रहे आरोप-प्रत्यारोप

 Where did the condolences go - 12 hours later, the number one dead body was taken from the platform number one station premises

Where did the condolences go – 12 hours later, the number one dead body was taken from the platform number one station premises

दमोह. रेलवे स्टेशन परिसर में दिव्यांग पार्किंग के पास एक वृद्ध का शव १२ घंटे तक पड़ा रहा। सोमवार रात ११ बजे के करीब वृद्ध का शव मिला था, जिसे मंगलवार सुबह करीब ११ बजे के बाद उठाकर जिला अस्पताल में रखवाया गया है। शव नहीं उठाने के पीछे स्वीपर का इंतजाम नहीं होने की बात सामने आई है। जिसमें स्टेशन प्रबंधक व जीआरपी एक दूसरे पर दोषारोपण करते देखे गए।
जीआरपी में पदस्थ प्रधान आरक्षक महेश कुमार का कहना है कि उन्होंने शव को उठवाने के लिए स्वीपर का इंतजाम कराने स्टेशन प्रबंधक जेएस मीणा से बात की थी। लेकिन उन्होंने कहा कि बिजलेंस की टीम बाहर से आई हुई है, इसलिए सभी लोग उसमें लगे हैं इसलिए स्वीपर का इंतजाम नहीं हो पाएगा। महेश ने कहा कि जब रेलवे के स्वीपर नहीं मिले तो उन्हें निजी स्वीपर के इंतजाम में काफी वक्त लग गया।
जानकारी देते ही तुरंत दिए थे शव के इंतजाम के लिए ५ हजार रुपए –
रेलवे में पदस्थ प्रबंधक जेएस मीणा का कहना है कि शव पड़े होने की उन्हें मंगलवार सुबह करीब ७-८ बजे जानकारी दी गई थी। जानकारी देते ही तुरंत ५ हजार रुपए की नकद राशि जीआरपी को देकर उसका शव तुरंत ही उठाकर उसके इंतजाम के लिए कहा गया था। लेकिन फिर भी दोपहर ११-१२ बजे तक शव पड़ा रहा। यह निंदनीय है। मीणा ने कहा कि जब पांच हजार रुपए देते हैं तो किसी भी निजी तौर पर काम करने वालों को रुपए देकर उससे शव को उठवाया जा सकता था। इसी के लिए पांच हजार रुपए दिए थे। लेकिन यह घोर लापरवाही है। अगर मुंबई में १० मिनट में शव को ट्रैक से नहीं उठाया जाता है तो १०-१० लोगों को सस्पेंड कर दिया जाता है। शव उठाने में देरी बर्दाश्त नहीं की जाती है। यहां तो २४-२४ घंटे डेडबॉडी पड़ी रहती हैं, जो उचित नहीं है। रेलवे के कर्मचारी इसलिए नहीं होते कि उनके स्वीपर का आप इस तरह से लगातार काम लेते रहो। क्योंकि हमारा दूसरा काम प्रभावित होता है, इसलिए दो साल से एक हजार की जगह अब पांच हजार रुपए कफन दफन के लिए दिए जाने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी शर्म की बात तो यह है कि शव को उड़ाने के लिए एक ५० रुपए का कपड़ा भी खरीदकर उसके ऊपर नहीं डाल सके।
यहां भी रेलवे ट्रैक पर पड़ा रहा शव
रेलवे स्टेशन से कटनी की ओर जाने वाले मार्ग पर धरमपुरा के आगे पोल क्रमांक ११२८/२९ में रेलवे ट्रैक पर एक नाबालिग लड़की प्रियंका पुत्री प्रमोद रैकवार (१७) निवासी फुटेरा वार्ड नंबर ५ का शव भी रेलवे ट्रैक पर पड़ा रहा। पुलिस एक दूसरे के क्षेत्र का मामला होने की बात करती रही। चूंकि मामला सिग्नल क्षेत्र से बाहर का था, इसलिए उसकी जिम्मेदारी पुलिस पर आ जाती है। इसलिए पुलिस को सूचना दे दी गई थी। बाद में शाम सवा सात बजे के लगभग शव को उठाया गया। स्टेशन प्रबंधक जेएस मीणा का कहना है कि उन्हें सूचना मिली थी कि शाम को पांच बजे आने वाली यात्री ट्रेन क्रमांक ५१६०२ के सामने गेट नंबर सात के पास ट्रेन के सामने कूदकर एक नाबालिग ने ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी है। पोल क्रमांक ११२८/२९ किमी पर हुई घटना के काफी देर बाद शव को उठाया जा सका। मीणा का कहना है कि ट्रैक पर शव पड़े रहने से रेल यातायात भी प्र्रभावित होता है। क्योंकि शव को कोई क्षति न पहुंचे इसलिए रेल यातायात का इंतजाम करने के लिए काफी परेशानी होती है।
सूचना मिलते ही १५ मिनट में उठ गई थी बॉडी-
इस मामले में कोतवाली थाना प्रभारी एचआर पांडेय का कहना है कि उन्हें शाम को जैसे ही सूचना मिली थी, उन्होंने बाज टू भेजकर तुरंत ही रेलवे ट्रैक पर पड़े शव को उठवा लिया था। इसमें किसी भी प्रकार से पुलिस के क्षेत्र को लेकर कोई बात सामने नहीं आई थी।
ट्रैन से गिरे यात्री की मौत –
मंगलवार को पथरिया रेलवे स्टेशन के समीप जबलपुर के एकता चौक निवासी युवक चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी गंभीररूप से घायल हो गया था। जिसे देर रात जिला अस्पताल से जबलपुर रेफर किया गया था। लेकिन उसकी जबलपुर जाने के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने जबलपुर में ही शून्य पर मर्ग कायम कर पुलिस डायरी दमोह भेजी जा रही है।
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