दमोहPublished: May 19, 2019 11:31:57 pm
Sanket Shrivastava
भीषण तपन और गर्मी के कारण जंगली जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं।
Wildlife wandering in search of water
मडिय़ादो. इंसान तो अपनी पीड़ा किसी को सुना कर समस्या का समाधान खोज लेता है, लेकिन बेचारे वन्यजीव तो अपनी पीड़ा किसी को सुना भी नहीं सकते हैं।
भीषण तपन और गर्मी के कारण जंगली जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं। दूसरी और जंगलों में तेंदूपत्ता सीजन के चलते हजारों श्रमिक जंगलों में तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में जुट गए हंै। इंसानों की चहलकदमी वन्यजीवों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।
जंगलों में जिन जलस्रोतों पर वन्य प्राणी अपनी प्यास बुझाते हैं, उन जलस्रोतों पर इंसानों का आना-जाना लगा रहता है।
जिसके चलते वन्यजीव प्यासे भटकते देखे जा सकते है। इस समय मडिय़ादो बफरजोन के जंगल भड़पुरा, पटपरा, जवाझोर सहित अन्य स्थानों पर श्रमिक अस्थाई ठिकाना बनाकर तेंदूपत्ता संग्रहण कर रहे हैं।
यहां स्थायी डेरा बना लिया: वनपरिक्षेत्र रजपुरा के मनकपुरा गांव के समीप तालाब वन्यजीवों की प्यास बुझाने प्राचीन जलस्रोत हुआ करता था। एक दसक पहले यहां सांभर, चीतल, हिरण, नीलगाय, चिंकारा, बंदर, रीछ, तेंदुआ शाम होते ही पानी पीते देखने मिल जाते थे, लेकिन यहां लगातार हुए वनभूमि पर अतिक्रमण से खेती का रकवा बढ़ गया है। अब तो तालाब के समीप ही लगभग ५० परिवार बस गए हैं। यहां इंसानी चहलकदमी और फसलों की सुरक्षा के लिए इंसानों द्वारा पाल रखे कुत्तों से वन्यजीवों को खतरा बन चुका है।
सिंचाई से सूखा जंगली नाला
उदयपुरा के लालपानी, लमती व मडिय़ादो के इमली पानी नामक जंगली जलस्रोतों पर निरंतर सिंचाई से जंगली नाला लगभग सूख चुका है। यहां कृषि कार्य समाप्त होने के बाद अभी भी आदिवासी परिवार रह रहे है। उनके साथ पालतू कुत्ते भी हैं, जो प्यास बुझाने आए वन्य प्राणियों को अपना शिकार बनाते है।
&वनों में वन्यजीवों को सुरक्षा देना हमारी पहली प्राथमिकता है। अगर बताए हुए स्थानों के जलस्रोतों पर वन्यजीवों को
खतरा है, तो हम इस मामले में कार्रवाई कराते हैं।
राजेंद्र सिंह नरगेश, वन परिक्षेत्र अधिकारी मडिय़ादो बफरजोन