लकड़ी माफिया कर रहे जंगलों के सफाया
दमोहPublished: Jun 20, 2021 11:00:27 pm
मूक दर्शक बना वन विभाग
Wood mafia is destroying forests
दमोह/ हटा. एक पौधे को पेड़ बनने में सालों लग जाते हैं, लेकिन कुल्हाड़ी चलाकर वन माफिया इन अमूल्य दरख्तों को कुछ ही समय में जमींदोज कर देते हैं। हटा वन परिक्षेत्र के कई गांवों में तो जंगल काटकर लोगो ने कई बीघा जमीन में खेती तक करना शुरू कर दी है। इसके साथ ही हर दिन कई पेड़ों को काटकर ट्रैक्टर ट्रॉली बैलगाड़ी व साइकिलों से वे रोकटोक लकड़ी का अवैध परिवहन हो रहा है। हर रोज की तरह रविवार को भी यह नजारा देखने को मिला।
पत्रिका ने सुबह 8 बजे पन्ना नाके पर साइकिल से लकड़ी ले जाते हुए एक युवक को कैमरे में कैद किया। युवक का कहना था मडिय़ादो के जंगल से लकड़ी लेकर आए हैं। इसके पहले लाल टेक पर ट्रैक्टर ट्राली को भी लकड़ी परिवहन करते देखा गया। विभाग में बैठे अधिकारियों की लापरवाही के चलते जंगल मैदान में तब्दील होते जा रहे हैं। दर्जनों मामले हटा, मडिय़ादो, रजपुरा, बटियागढ़ वन परिक्षेत्र के रेंज के जंगलो में देखने को मिल रहा है। जहां पेड़ों की अवैध कटाई जोरों पर है। लकड़ी माफिया बड़े-बड़े कीमती पेड़ों को धड़ल्ले से काट रहे हैं। जंगल के संबंध में जानकारों का मानना है कि जिले के जंगल धीरे धीरे मैदान में तब्दील होते जा रहे हैं। कुछ जगह पर आबादी के निकट तो हरियाली नजर आती है, लेकिन बीच- बीच में केवल मैदान दिखाई देता है।
हरियाली पर चल रही कुल्हाड़ी
हटा वनपरिक्षेत्र की दर्जनों बीटो में इन दिनों खुलआम हरे भरे पेड़ो की कटाई हो रही है। वहीं लकड़ी व्यापार से जुड़े वन माफियाओं द्वारा लकड़ी की तस्करी की जा रही है। क्षेत्र के मडिय़ादो, रजपुरा, बंधा, रनेह में पेड़ो की कटाई जारी है। कई जगह तो गिने चुने ही पेड़ ही नजर आते हैं।
सागौन भी नही सुरक्षित.
मडिय़ादो की रमना वन बीट में ९ हेक्टेयर में फैला सागौन भी अब सुरक्षित नही है। ग्रामीणों ने बताया कि सोफा व डबल बेड निर्माण के लिए सागौन के पेड़ों की अंधाधुध कटाई हो रही है। काटी गई लकडी की तस्करी का खेल वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से चल रहा है। जानकारी के अनुसार वनरक्षक भवन व वन चैक पोस्ट के बैरियल से आधा किमी दूरी पर रिजर्व वन क्षेत्र से हर दिन सागौन को काटा जाता है।
चैक पोस्ट बना कमाई का साधन.
प्रति दिन दर्जनों साइकिल जलाऊ लकडी वन चैक पोस्ट बैरियल के सामने से गुजरती है। रात के अंधेरे में बैलगाडियों और अन्य वाहन बैरियर पर होते हैं। वन माफियाओ और वनकर्मियों में सांठगांठ हैं। जिसका परिणाम जंगलो के सफाए में बदल रहा है। रेंज अंतर्गत रजपुरा सहित आसपास क्षेत्र में बन संपदा की तस्करी लगातार जारी है। इमारती लकड़ी की कटाई की जा रही है। वैसे ही पेड़ों का कत्ल बडी संख्या में पहले ही किया जा चुका है। लेकिन जो पेड़ पहले वन माफिया की नजर से बच गए थे। उनका अब सफाया करने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। रविवार को पत्रिका ने रजपुरा बीट के जंगल का महज आधा घंटा भ्रमण किया तो इस दौरान आधा सैंकड़ा छोटे बड़े पेड़ों के कटे ठूंठ नजर आए।
नहीं रहते वनरक्षक
जंगल में कहीं कोई सुरक्षाकर्मी नजर नहीं आया कई पेड़ तो सड़क किनारे ही बेरहमी से काट कर छोड़ दिए जो आज भी वहीं पड़े हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग की मिलीभगत का नतीजा है कि पेड़ों का विनाश हो रहा है। परिणाम स्वरूप पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। अगर समय रहते वन विभाग की नींद नहीं खुली तो वह दिन दूर नहीं जब जंगलो का नामो निशान नहीं रहेगा।
बाउंड्रीवाल के पत्थर हो गये गायब
इसी बीट में वन विभाग द्वारा लगाई गई पत्थर की बाउंड्री के पत्थर भी कई स्थानों से गायब है। वन विभाग के द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से जंगल में लाखों खर्च कर बाउंड्री निर्माण कराई थी।
दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग
अभिषेक, दीपक पटवा, पुष्पेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि पर्यावरण संतुलन के लिए जंगलों का बचा रहना जरूरी है। लेकिन वनकर्मियों की मिली भगत से जंगलों का सफाया जारी है। वन विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग है कि जंगलों का सफाया करने व जंगलो से पेड़ों की कटाई मे कतिपय लिप्त वनकर्मियों के विरुद्ध जांच करने के पश्चात कार्रवाई की जानी चाहिए।