लखमा ने कहा कि इस खदान को अडानी को दिए जाने का सबसे पहले विरोध उनके द्वारा ही किया गया था। उन्होंने केंद्र सरकार से अडानी को दिए गई खदान का ठेका रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस आंदोलन में शामिल होने जाने वाले थे लेकिन हेलीकॉप्टर की व्यवस्था न होने के कारण वे आंदोलन में शामिल नहीं हो सके।
बता दें की एनएमडीसी गेट के सामने चल रहे आंदोलन में हजारों की संख्या में आदिवासी मौजूद हैं। आदिवासी इस पहाड़ी को अपना इष्ट देव मानते हैं. लिहाजा उसे बचाने के लिए ये आदिवासी यहां एकत्र हुए हैं. उनकी मांग है कि अडानी को दिया गया है ठेका रद्द किया जाए।
ये है पूरा मामला बैलाडीला लौह अयस्क खदान (Iron ore mine) नम्बर 13 को अडानी के हाथों में दिए जाने का अब दन्तेवाड़ा में आदिवासी विरोध कर रहे है। शुक्र वार को एक बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी हो रही है। इधर इस आंदोलन में शामिल होने पूर्व सीएम अजीत जोगी के आने की भी खबर है।
प्रदर्शनकारियों (Tribal movement) ने बताया कि दैविक पर्वत नन्दीराज की आस्था को चोट पहुंचाकर खदान (mine) पर अगर काम शुरू हुआ तो ट्रेन रुकेगी, बसों के पहिये थमेंगे। जिले के चारो विकासखंड के पंचायतो से ग्रामीण (tribals) बैठक कर सर पर सामान रख जंगलो के रास्ते से किरन्दुल की तरफ कूच कर रहे है।