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आप ने फिर बोला पूर्व कलक्टर ओपी चौधरी पर हमला, अब लगाया ये आरोप

locationदंतेवाड़ाPublished: Sep 09, 2018 01:38:59 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

पूर्व कलक्टर ओम प्रकाश चौधरी को आप पार्टी ने आरोपों में फिर एक बार घेर लिया है।

पूर्व कलक्टर

आप ने फिर बोला ओपी चौधरी पर हमला, अब लगाया ये आरोप

दंतेवाड़ा. आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से दंतेवाड़ा के बहुचर्चित अदला-बदली जमीन घोटाला मामले पर दंतेवाड़ा के पूर्व कलेक्टर व भाजपा सरकार पर हमला बोला है। पूर्व कलेक्टर व भोजपा नेता ओपी चौधरी के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पर भी दोषियों को बचाने व दागदार, भ्रष्ट आईएएस को अपनी पार्टी में शामिल करने पर सवाल खड़े करते कहा कि भाजपा का यह चरित्र रहा है कि जो जितना बड़ा भ्रष्टाचार करता है भाजपा में उसे उतना ही बड़ा इनाम भी दिया जाता है।

जमीन भ्रष्टाचार का यह पूरा खेल
संकेत ने ओपी चौधरी व भाजपा पर करारा हमला करते कहा कि जमीन भ्रष्टाचार का यह पूरा खेल साल 2011 से 2013 के बीच खेला गया। अपने स्थानांतरण से पहले ओपी ने यह खेल खेला था। आप पार्टी के प्रदेश प्रभारी गोपाल राय ने 5 सितंबर 2018 को इस सनसनीखेज घोटाले को उजागर किया था। पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा के 4 तथाकथित भू माफियाओं को जो भाजपा से संबंध रखते हैं उन्हें फायदा पहुंचाने के लिये संविधान के नियमों को भी ताक पर रखने की हिमाकत इसलिए की क्योंकि उन्हें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह व भाजपा का संरक्षण प्राप्त था।
उन्होंने जमीन अदला बदली प्रक्रिया से संबंधित फाईलों को मीडिया को दिखाते कहा कि आवेदक साहुल हमीद के एक आवेदन पर कलेक्टर ओपी चौधरी ने चितालंका की 3.67 एकड़ जमीन के बदले शहर की 5.6 एकड़ भूमि को चार हिस्सों में अलग अलग टुकड़ों में दे दी। जिसमें 22 डिसमिल का एक हिस्सा मेन रोड़ के किनारे दिया गया जिस पर साहुल हमिद व अन्य ने मिलकर तीन मंजिला एक विशाल कामप्लेक्स खड़ा किया है। इस मामले को स्थानीय आदिवासियों ने हाईकोट में पिटिशन दायर किया तब जाकर ये घोटाला जनता के सामने आ पाया।

आप संयोजक ठाकुर ने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता व जस्टिस पी सैन कोसी द्वारा जो 15 सितंबर 2016 को आदेश पारित किया है उसको सरकार ने 2 सालों तक क्यों दबाकर रखा जब हाईकोर्ट ने जांच का आर्डर किया है तो जांच क्यों नहीं की। अगर इंक्वायरी की है तो इंक्वायरी करने के पहले उनको सस्पेंड क्यों नहीं किया? और कोई जांच की है तो उसे आज तक जनता के सामने क्यों नहीं लेकर आए। 14 अप्रैल 2013 के आदेश को हाईकोर्ट ने गलत साबित कर निरस्त कर दिया था। वहीं कामप्लेक्स खरीददारों को सिविल सूट फाइल करने की सलाह दी थी। चूंकि यह प्रकरण भ्रष्टाचार का है इसलिए शासन ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभी तक आपराधिक प्रकरण क्यों दर्ज नहीं किया। उन्होने कहा कि ओपी के रिजाइन करने के बाद अब धारा 197 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत सरकार से अनुमति की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए सीधे तौर पर बिना अनुमति के भी भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि हाईकोर्ट ने 15 सितंबर 2016 को अपने आदेश में इंक्वायरी के साफ आदेश पारित किया है। निश्चित रूप से इंक्वायरी करने के लिये अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाना चाहिए था और ऐसा प्रतित होता है कि अभी तक जांच शुरू ही नहीं किया गया है यह सीधे सीधे माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना है। जिसके लिये सरकार जिम्मेदार है। आप नेता ने सरकार पर एक और बड़ा आरोप लगाते कहा कि भाजपा सरकार में जितने भी कलेक्टर व अधिकारी हैं सब दबाव में काम कर रहे हैं। 14 सितंबर 2016 में हाईकोर्ट की डबल बैंच का फैसला आया था। फैसले में दंतेवाड़ा जिला पंचायत परिसर से लगी निजी भूमि के बदले में शासकीय व्यवसायिक भूमि शहर के बीचों बीच एलाट किया गया था। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा था कि कृषि भूमि के बदले शहर के बीच सरकारी जमीन एलाट करना गलत है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जांच कर मामले से जुड़ अधिकारियों पर कारवाई की बात भी कही थी। इस मामले में कलेक्टर, तहसीलदार, एसडीएम, पटवारी एवं रेवेन्यू अधिकारियों को दोषी पाया तथा एक लाख का जुर्माना भी लगाया था।

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